पाकिस्तान की कोर्ट ने आतंकियों को छोड़ा

पाकिस्तान |      पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट ने हाफिज सईद के संगठन जमात – उद – दावा के 6 लीडर्स को एक टेरर फंडिंग केस में बरी कर दिया है और जमात – उद – दावा असल में बैन किए गए तथा आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का फ्रंट ऑर्गेनाइजेशन है इस संगठन ने 2008 में मुंबई में आतंकी हमले को अंजाम दिया था जिसमें 160 लोगों की मौत हुई थी एवं पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक ट्रायल कोर्ट ने प्रो. मलिक जफर इकबाल , याह्या मुजाहिद , नसरुल्लाह , समीउल्लाह और उमर बहादुर को 9 साल की सजा सुनाई थी जबकि हाफिज अब्दुल रहमान मक्की को 6 महीने कारावास की सजा दी गई थी , इन सभी ने लाहौर हाईकोर्ट में जस्टिस मोहम्मद अमीर भट्टी और जस्टिस तारिक सलीम शेख की अगुआई वाली डिस्ट्रिक्ट बेंच में अपनी सजा के खिलाफ अर्जी लगाई और अपराधियों के वकील ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने सबूतों पर ठीक से गौर नहीं किया जिसकी वजह से गलत फैसला सुनाया गया , उन्होंने कहा कि जिस अल-अनफाल ट्रस्ट से उनके क्लाइंट्स जुड़े हुए हैं उसका लश्कर-ए-तैयबा से कोई लेना – देना नहीं है उन्होंने कहा कि उनके क्लाइंट्स ने 2000 में ही लश्कर-ए-तैयबा को ट्रस्ट से दूर कर दिया था , उनके इस संगठन से जुड़े होने या उसे सपोर्ट करने का रत्तीभर भी सबूत नहीं है         |

आपको बता दे कि इस पर कोर्ट ने कहा कि यह अभियोजन पक्ष का काम है कि वह ऐसे सबूत पेश करें जिन्हें नकारा न जा सके और जिससे आरोपियों का गुनाह साफ हो सके , कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को सिर्फ इसलिए सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि लश्कर-ए-तैयबा या उनकी ट्रस्ट को बैन कर दिया गया है तथा जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और कई अन्य नेताओं पर टेरर फाइनेंसिंग के मामले में काउंटर – टेररिज्म विभाग ने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं जिसमें उन्हें गुनाहगार माना गया है और अलग – अलग शहरों में जमात-उद-दावा के सदस्यों पर 41 FIR दर्ज हैं तथा हाफिज सईद को UN ने आतंकी करार दिया है भारत की नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में उसका नाम है एवं अप्रैल 2012 में अमेरिका ने सईद के नाम 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था , जुलाई 2019 में उसे पाकिस्तान में टेरर फंडिंग केस में गिरफ्तार किया गया और फरवरी 2021 में उसे 11 साल की सजा सुनाई गई          |

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