श्रीनगर पुलिस ने दर्ज किया पत्रकार पर झूठा डकैती का मामला

ठाणे | ठाणे के वागले इस्टेट स्थित श्रीनगर पुलिस ने तो अपने सरकारी कलम का क्या खूब इस्तेमाल किया है उन्होंने एक मामले को अपने कैमरे में कैद करने गए पत्रकार को ही डकैत बना दिया है ज्ञात हो कि मामला वागले इस्टेट स्थित हनुमान नगर के ए.एम.जे. कॉर्पोरेशन कंपनी के मालिक राजिदरपाल सिंह भसीन का है जिन्होंने श्रीनगर पुलिस में यह मामला दर्ज कराया है और पुलिस को बताया है कि उन्हें जबरजस्ती मारपीट कर उनके बेटे से पचहत्तर हजार की लूट की गई , जिस पर श्रीनगर पुलिस ने बिना छानबीन किए बिना ही डैकती का मामला दर्ज कर दी |

जबकि यह मामला एक पीड़िता का है जो राजिदरपाल सिंह के कंपनी में भंगार खरीदने आयी थी जिसके बाद सिंह और उस महिला के बिच व्यापार को लेकर बातचीत का सिलसिला चालू था और पिछले महीने में उन्नीस तारीख को सिंह ने महिला को व्हाट्सअप काल करके उससे शरीर सुख की मांग की थी ऐसा आरोप पीड़िता ने लगाया है जिसके बाद पीड़िता द्वारा इस विषय को स्थानीय शिवसेना और मनसे पदाधिकारियों से बताई गई , जिस पर बौखलाए शिवसेना और मनसे के पदाधिकारी 20 दिसम्बर को कंपनी में पहुचे और इस मामले की जानकारी स्थानीय पत्रकार को दी जिसके बाद जे जे वी न्यूज़ के पत्रकार मौके पर पहुँचकर इस मामले को अपने कैमरे में कैद किए और मामला माफी मांगने पर खत्म हो गया हालांकि मजे की बात यह है कि इस मामले की जानकारी शिवसेना पदाधिकारी द्वारा श्रीनगर पुलिस के बिट मार्शल अधिकारी राठौड़ और उनका सहयोगी को जिसके बाद वह मौक़े पर पहुँचकर माफी मांगने पर मामला खत्म किए थे |

लेकिन ठीक दूसरे दिन यानी एक्कीस दिसंबर को सिंह ने श्रीनगर पुलिस की साठ गाँठ में पीड़िता और छ: लोगो पर डैकती का मामला जड़ दिया जिसमे पत्रकार का नाम भी शामिल कर दिया , इस झूठे मामले में अभी चार लोग जेल में है सूत्रों की माने तो इस झूठे मामले को दर्ज कराने के लिए किसी राजनीतिक संगठन के बड़े पदाधिकारी का दबाव था लेकिन सवाल यह है कि क्या पुलिस किसी के दबाव में आकर किसी बेगुनाह को गुनाहगार बना देगी ? हालांकि इस मामले में पत्रकार चंद्रभूषण विश्वकर्मा ने उच्चस्तरीय जांच कर दोषी पुलिस अधिकारी और फरियादी भसीन पर कार्यवाही करने की मांग महामहीम राष्ट्पति और राज्यपाल सहित मुख्यमंत्री , गृहमंत्री और डीजीपी से की है तथा विश्वकर्मा ने यह भी कहा है कि अगर दोषी पर कार्यवाही नही की गई तो वह इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे , ताकि दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही हो सके और आने वाले समय मे किसी बेगुनाह पर फर्जी मुदकमा दर्ज ना हो , अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इस मामले में क्या जाँच होता है और कब तक दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही होता है |

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