आचार्य पंडित सुनील शास्त्री ने पितृ पक्ष के विषय में दी जानकारियां

ठाणे |     आचार्य पंडित सुनील शास्त्री ने पितृ पक्ष के विषय में तमाम जानकारियां लोगों के हित के लिए बताया है यह एक विशिष्ट अवसर है जिसमें हमें अपने पितरों व बुजुर्गों का आदर एवं हिन्दु धर्म में वर्णित तर्पण एवं श्राद्ध आदि करना चाहिए इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि अन्य दैनिक कार्य भी न करें जिस कार्य का जो शास्त्र अनुसार काल या मुहूर्त बताया गया हो वो जरूर करें पितृपक्ष उसके लिए है जिसके पिता व माता नहीं हैं यह नित्य कर्म के अंतर्गत समाहित किया गया है जिसके संकल्प में श्रुति स्मृति पुराणोक्त फल प्राप्तये इसकी कामना है सभी को इस काल खण्ड में अपने पूर्वजों को स्मरण एवं उनके मृत तिथि को श्राद्ध दानादि एवं तर्पण आदि अवश्य करनी चाहिए श्राद्ध सम्पन्न होने के बाद पितृपक्ष में तर्पणादि नहीं होगा यह विधि विरुद्ध है आपको गया श्राद्ध के बाद भी तर्पणादि अवश्य करनी चाहिए पितृपक्ष में आवश्यक नहीं है कि हम तर्पणादि करें साथ ही अपनी धार्मिक , पारम्परिक , सामाजिक तथा मानव जीवन की अभ्युन्नति के लिए जरूर इस पक्ष विशिष्ट में अवश्य तर्पणादि करनी चाहिए जिससे आधिदैविक, आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक ताप – त्रय से निवृति एवं अभीष्ट की सिद्धि हो सके जब भी अनुकूल श्रम करने के बाद भी जीवन में सफलता बाधित दिखे तो अपने पितरों को जरूर याद कर तर्पणादि करें वर्तमान वर्ष में पिता या माता दिवंगत हो गए तो उसी वर्ष पड़ने वाले पितृपक्ष में तर्पणादि नहीं होगा उस वर्ष भी तर्पणादि किया जाएगा परन्तु पिंडदान आदि कार्य नहीं होंगे   |

भैया करते हैं तर्पणादि तो हम क्यों करें ? यह कार्य प्रत्येक भाई के लिए है वे अवश्य करें हाँ यदि साथ रहते हों तो श्राद्ध कर्म तिथि पर एक साथ ही करें  |

संस्कृत पढ़ना नहीं आता कैसे करें ?  आप किसी विद्वान पुरोहित के द्वारा या अन्य सहारा के द्वारा कर सकते हैं विषय परिस्थितियों में स्वयम पूर्व के तरफ देवताओं उत्तर के तरफ ऋषियों एवं दक्षिण में पितरों के नाम पर मन में ध्यान एवं नामोच्चारण द्वारा जलांजलि तर्पण कर सकते हैं  |

इस काल में कुछ नहीं करें तो क्या होगा ? मनुष्य होने के नाते आवश्यक है कि हम अपने मूल्य की रक्षा करें हम बृद्ध एवं पितरों का आदर करना सीखें  |