आत्मा पुण्य लेकर आती है :- जैन मुनि

ठाणे |     कोंकण शत्रुंजय तीर्थ में चातुर्मास विराजित प.पू.आ सागरचंद्रसागर म.सा. के शिष्यरत्न गणिवर्य तीर्थचंद्रसागर म.सा. व प्रवचनकार पदम् सागर म.सा , साध्वी वर्या रत्नशीला , श्रीजी म.सा. व श्री लब्धि विक्रम सूरी समुदाय की साध्वी संभवयशाश्रीजी म.सा आदि ठाणे की पावन निश्रा में पयुर्षण पर्व की आराधना जारी है पर्व दरम्यान मुनिश्री ने बताया कि तुम सोचते हो कि तुम किसी को पाल रहे हो यह संसार यह समाज यह घर तुम्हारे बलबूते पर चल रहा है तो यह गलत धारणा मन से मिटा दो यह दुनिया है कल भी चलती थी आज भी चल रही है और जब तुम नही रहोगे तब भी चलेगी जो जीव इस दुनिया में आता है वह अपना पुण्य लेकर आता है तुम किसी को क्या पालोगे संतान को तो जानवर भी जन्म देता है हृदय में परमात्मा को जन्म दो आम , अमरूद अपने फलो को दूसरों को देते रहते हैं और एक बार बसंत के बाद उसमें फिर से फल आ जाते हैं मेरे भाई तुमको जो मिला है व पुण्य से मिला है तुम उसका उपयोग उसकी आवश्यकता के लिए करो मैं और मेरे मन को त्यागो तभी आत्मा स्वरूप को जान पाओगे धर्म कहता है अधिकारों की बात नहीं कर्तव्यों का निर्वाह करो भावना ऐसी हो गुणीजनों को देख हृदय में प्रेम के भाव उमड़ जाए   |