उद्धव सरकार के खिलाफ भाजपा नेताओं का प्रदर्शन

ठाणे | एक तरफ महाराष्ट्र में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है वही आज पुरे महाराष्ट्र में भाजपा द्वारा महाविकास अघाड़ी शिवसेना, कांग्रेस-राकांपा) सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया , ठाणे में भी इसका असर देखने को मिला जिसमे भाजपा कार्यालय खोपट , तो ठाणे के कई जगहों पर भाजपा कार्यकर्ताओ द्वारा यह प्रदर्शन किया गया ,ठाणे के खोपट कार्यालय पर भाजपा शहर अध्यक्ष व विधायक निरंजन डावखरे ,विधायक संजय केलकर , नगरसेवक संदीप लेले के साथ साथ कई कार्यकर्ता मौजूद रहे , भाजपा की ओर से इसे ‘मेरा आंगन मेरा रणगन (मेरा घर, मेरा युद्ध) – महाराष्ट्र बचाओ’ अभियान का नाम दिया गया है ।

बता दे कि एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से आह्वान किया गया था कि लोग काला कपड़ा पहनकर बालकनी में आएं और उद्धव सरकार के खिलाफ नारे लगाएं और बैनर दिखाएं भाजपा का मानना है कि महाविकास अघाड़ी सरकार राज्य में कोरोनावायरस समस्या को संभालने में नाकाम रही है ,जिसको लेकर महाराष्ट्र के नागपुर, पुणे , ठाणे और मुंबई समेत राज्य के कई हिस्सों में भाजपा के विधायक, सांसद और कार्यकर्ता प्रदर्शन करते नजर आए ,तो वही मुंबई में फडणवीस ने भाजपा कार्यालय के बाहर हाथ में तख्ती लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया , इस दौरान उनके साथ पूर्व मंत्री विनोद तावड़े भी मौजूद थे , इसी तरह प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने भी हाथों में तख्ती लेकर पुणे में प्रदर्शन किया  ।

 आदित्य ठाकरे ने भाजपा पर किया पलटवार

भाजपा के इस राज्यव्यापी विरोध के बीच पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने अपने ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट की है , इसमें कुछ बच्चे हाथ में भाजपा का झंडा लिए और काले कपड़े पहने हुए प्रदर्शन कर रहे हैं ,  इस तस्वीर के साथ आदित्य ठाकरे ने लिखा है,’बेहद शर्मनाक, राजनीति के लिए भाजपा के लोगों ने बच्चों कड़ी धूप में बाहर खड़ा कर दिया वह भी बिना मास्क और बिना चेहरे को ढके हुए हमें उन्हें बचाना है , कोरोना को भूल गए, राजनीति प्यारी है।

तो वही शिवसेना की ओर से प्रवक्ता मनीषा कयांडे ने इसकी आलोचना की है  कहा यह एक महामारी का काल है सरकार वह सब कुछ कर रही है जो वह कर सकती है लेकिन भाजपा चाहती है कि लोग काले मास्क और दुपट्टे पहनें और तख्तियों के साथ अपनी बालकनियों में खड़े हों, क्या यह एक मजाक है ?

 इस राजनीती को देखकर सवाल यह उठता है कि क्या राजनितिक पार्टिया सिर्फ अपने भले के लिए राजनीती करती है ?

या आम जनता के लिए काम ?