केंद्र सरकार ने स्कूल खोलने की जारी की SOP 

दिल्ली |      एक तरफ कोरोना का कहर है अब वही केंद्र सरकार ने स्कूल खोलने के लिए SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर) सोमवार को जारी कर दी इसके मुताबिक दो – तीन हफ्ते तक बच्चों का कोई असेसमेंट नहीं होगा स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ और इमोशनल सेफ्टी पर भी ध्यान देना होगा कैम्पस में इमरजेंसी केयर टीम बनानी होगी पैरेंट्स की सहमति से ही बच्चों को स्कूल बुलाया जाएगा आपको बता दे कि SOP दो हिस्सों में है   |

पहला हिस्सा स्कूल खोलने के दौरान बच्चों की हेल्थ सेफ्टी के बारे में है :- 

  1. स्कूल कैम्पस के सभी एरिया , फर्नीचर , इक्विपमेंट , स्टेशनरी , स्टोरेज प्लेस , वॉटर टैंक , किचन , कैंटीन , वॉशरूम , लैब , लाइब्रेरी की लगातार साफ – सफाई हो और ऐसी जगहों को डिसइन्फेक्ट किया जाए |
  2. स्कूलों को इमरजेंसी केयर सपोर्ट टीम या रिस्पॉन्स टीम , जनरल सपोर्ट टीम , कमोडिटी सपोर्ट टीम , हाइजीन इंस्पेक्शन टीम बनानी होगी और इसके तहत जिम्मेदारियां बांटनी होंगी |
  3. राज्यों की तरफ से जारी गाइडलाइन के आधार पर स्कूल अपनी SOP बनाएं ताकि बच्चों के मामले में सोशल डिस्टेंसिंग और हेल्थ सेफ्टी फॉलो हो सके |
  4. इस बारे में नोटिस , पोस्टर , मैसेज लगाए जाएं और पैरेंट्स को भी प्रमुखता से कम्युनिकेट किया जाए |
  5. सिटिंग प्लान बनाते वक्त सोशल / फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाए फंक्शंस और इवेंट्स को टाला जाए सभी की एक ही वक्त पर एंट्री – एग्जिट न हो , इसके लिए अलग – अलग टाइम टेबल रखा जाए |
  6. सभी बच्चे और स्टाफ फेस कवर या मास्क पहनकर ही स्कूल आए इसे हर वक्त पहना जाए |
  7. सेफ्टी प्रोटोकॉल , सोशल डिस्टेंसिंग से जुड़े साइनेज और मार्किंग्स लगाए जाएं बच्चे पैरेंट्स की लिखित मंजूरी के बाद ही स्कूल आएं अगर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा घर से पढ़ाई करे तो इसकी इजाजत दी जाए |
  8. सभी क्लास के लिए एकेडमिक कैलेंडर में बदलाव किए जाएं खासकर ब्रेक्स और एग्जाम्स के बारे में दोबारा से सोचा जाए |
  9. स्कूल दोबारा खोले जाने से पहले यह देखा जाए कि सभी बच्चों के पास जरूरी टेक्स्टबुक मौजूद है |
  10. स्कूलों में हेल्थ केयर अटेंडेंट , नर्स , डॉक्टर और काउंसलर की या तो मौजूदगी हो या फिर वे आसपास की दूरी पर रहें ताकि वे बच्चों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ का ध्यान रख सकें |
  11. स्कूल बच्चों और टीचर्स के लिए रेगुलर हेल्थ चेकअप के इंतजाम भी करा सकते हैं |
  12. बच्चों , पैरेंट्स और टीचर्स के हेल्थ स्टेटस के बारे में जानकारी लेते रहें |
  13. जब बच्चे और स्टाफ बीमार हो तो वह घर से पढ़ाई या काम कर सके , इसके लिए फ्लेक्सिबल अटेंडेंस और सिक लीव पॉलिसी बनाएं |

दूसरा हिस्सा सोशल डिस्टेंसिंग और एकेडमिक पहलुओं से जुड़ा है :-

  1. लर्निंग आउटकम का ध्यान रखते हुए कॉम्प्रिहेंसिव और अल्टरनेटिव कैलेंडर बनाया जाए |
  2. नए हालात को देखते हुए एकेडमिक कैलेंडर पर दोबारा काम किया जा सकता है |
  3. स्कूल खोलने के बाद बच्चे एकजुट रहें  , इस पर स्कूलों को ध्यान देना होगा |
  4. टीचर्स को बच्चों के साथ उनके करिकुलम के रोडमैप और मोड ऑफ लर्निंग पर बात करनी चाहिए इसमें फेस टु फेस इंस्ट्रक्शन , इंडिविजुअल असाइनमेंट्स , ग्रुप बेस्ड प्रोजेक्ट और ग्रुप प्रेजेंटेशंस का जिक्र शामिल रहे |
  5. स्कूल बेस्ड असाइनमेंट्स किन तारीखों पर होंगे , इस बारे में भी वे बच्चों से बात करें |
  6. वर्कबुक , वर्कशीट्स , टेक्नोलॉजी बेस्ड रिसोर्सेस के इस्तेमाल जैसे पढ़ाई के अलग – अलग तरीकों पर ध्यान दिया जाए ताकि सोशल डिस्टेंसिंग हो सके |
  7. स्कूल ये ध्यान दें कि लॉकडाउन के दौरान घर बैठे पढ़ाई करने वाले बच्चे आसानी से फॉर्मल स्कूलिंग पर लौटें इसके स्कूल अपने कैलेंडर और एनुअल करिकुलम प्लान पर दोबारा विचार करें इसके स्कूल रेमेडियल क्लासेस शुरू कर सकते हैं या बैक टू स्कूल कैम्पेन चला सकते हैं |
  8. टीचर्स , स्कूल काउंसलर्स और स्कूल हेल्थ वर्कर्स एकजुट होकर स्टूडेंट्स की इमोशनल सेफ्टी पर ध्यान दें |

और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि गृह मंत्रालय ने राज्यों को यह छूट दी है कि वे अपने हालातों को देखते हुए और पैरेंट्स की सहमति से स्कूल खोल सकते हैं किसी बच्चे को जबरदस्ती नहीं बुलाया जाएगा |