कोरोना का कहर जोर शोर से बढ़ रहा है : जैन मुनि विश्वानंद विजय

ठाणे  | चातुर्मास में विराजमान पशु पक्षियों के प्रेमी जैन मुनि विश्वानंद विजय ने अपने मुखारविंद से भक्तों को प्रवचन के दौरान कहा बताया कि अब क्या करना कहा जाना यह सवाल मुंबई जैसे महानगर में रहने वाले और काम धंधे की तलाश में आते हुए सबके मन में चिंता, फिकर, भय का विषय बन रहा है , महाराष्ट्र के मुंबई शहर में 400 साल से आज तक कमाने के लिए व्यापार करने के लिए आते है , वर्तमान में महामारी से बचने के लिए उपाय मन में आए हैं वह बताने जा रहा हूँ जिनका घर परिवार गांव में है उन्हें अपने गांव में चले जाना चाहिए व्यापार उद्योग से जुड़े हुए व्यापारी जो गांव के है वह अपने गांव में घर परिवार हैं तो कोरोना काल समाप्त न होए तब तक अपने गांव में रहे , जिनका जिनका अपने गांव में घर नही है वह किराये – भाड़े के मकान लेकर रहे हाल का समय बताता है , मुंबई जैसे शहर की चमक दमक का मोह छोड़कर अपने प्यारे वतन जाना उचित है ।

जिनका रहने का नहाने धोने का व खाने की व्यवस्ता नही है होटल में खाना फुटपात पर सोना ऐसी हालत वालों को तो अपना गांव प्रान्त छोड़ के शहर में कभी भी आना नही चाहिए भले काम मिलता हो रोजगारी मिलती हो लेकिन रहने की यह परेशानी है तो नही आना चाहिए , ऐसे लोगों के नही आने से शहरों में गर्दी कम होगी और महामारी कम फैलेगी आज भी हजारों लाखों गांव ऐसे है , जहा एक भी केश महामारी का नही है हम तो कई सालों से बता रहे हैं आधी रोटी खाओ और गांव में जाओ और सुखी रहो पशुपालन खेतीबारी मेहनत मजदूरी कला कारीगरी अपने गांव में रह के करो शहर में तनखाह ज्यादा भी मिलती हो काम भी मिलता हो लेकिन शहर की महंगाई और फालतू खर्चे से आने वाली की हालत वही की वही रहती है उसमें सुधार नही आता बचत नही आती है ।

आज के आधुनिक जमाने में सब बदल गया है आदमी का नेचर अलग हो गया है अब पहले की जैसी सुखद हालात शहर में नही रही है जहा देखो वहा भीड़ जमी हुई लगती है , शहरों का रेडीमेड खाना बिसलेरी पीना कपड़ा मकान सब रेडीमेड होने से सेहत बिगड़ती है कोई न कोई बीमारी पकड़ लेती है कमाया हुआ पैसा खर्च में चला जाता है एक बात मन में ठान लो कि हाल के समय में अमुक समय गांव में रहेंगे हर गांव में मस्जिद, मंदिर,चर्च आदि होते है , धर्मशाला गौशाला गांव में भी रहते हैं गावों में स्वछ वातावरण शुद्ध चोखा दूध चोखा पानी अनाज तरकारी सस्ती और ताजी मिलती है कहा आना जाना नही होता है तो प्रवाश भाड़े का खर्च नही होता और आराम मिलता है शहर में कहा रहना कहा खाना कहा काम करना भाग भाग से शिवाय कुछ नही है इस लिए महामारी से बचने का गांव में रहना ये भी उपाय है जहा प्रदूषण बिल्कुल नहीं है शोचो और गांव जाने का मन बना लो ।