कोर्ट में दलितों की भागीदारी नहीं: केन्द्रीय राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा

केन्द्रीय राज्य मंत्री और रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा ने जजों की बहाली के सिस्टम को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में देश के चिह्नित तीन सौ से चार सौ परिवारों से ही जज बनते रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों ही कोर्ट में दलित, महादलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा व सामान्य जाति के गरीबों की भागीदारी नहीं है।

खासकर जजों की नियुक्ति में भी इनकी हिस्सेदारी नगण्य है। वे बुधवार को शहर के चिल्ड्रेन्स पार्क में रालोसपा के दलित, महादलित व अतिपिछड़ा अधिकार सम्मेलन में बोल रहे थे। श्री कुशवाहा ने कहा कि आमलोगों की समस्याओं को लेकर सरकार अपना निर्णय देती है, लेकिन किसी एक व्यक्ति द्वारा कोर्ट में वाद दायर कर उस सारे फैसले पर रोक लगा दी जाती है।

केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में महिलाओं की भी भागीदारी काफी कम है। उन्होंने कहा कि यहां जजों की बहाली का कोई विज्ञापन नहीं निकाला जाता है। सिर्फ पांच लोगों की कमेटी होती है। इन कमेटी द्वारा जजों की बहाली कर ली जाती है। इस बहाली का कोई रिकार्ड नहीं होता है। इसके लिए राष्ट्रीय लोक समता पार्टी हल्ला बोल न्यायपालिका का दरवाजा खोल आंदोलन चलाएगी।

इसमें सभी की भागीदारी जरूरी है। सम्मेलन को रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी, रालोसपा के राष्ट्रीय सचिव जुल्फकार अली बराबी, दलित महादलित प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष फेकू राम, राष्ट्रीय महासचिव जहांगीर खां, जिलाध्यक्ष अमित कुमार मंटू, राष्ट्रीय महासचिव अंगद कुशवाहा, युवा जिलाध्यक्ष मुकेश कुमार सिंह, ई. धर्मेन्द्र आदि ने भी संबोधित किया।

बुधवार को शहर के चिल्डे्रन्स पार्क में रालोसपा सुप्रीमो सह केन्द्रीय राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा का स्वागत करते कार्यकर्ता।

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