गरीबों के बच्चों के लिये ऑनलाइन शिक्षा टेढ़ी खीर , बिना एंड्रायड मोबाइल क्लासेस सम्भव नहीं

भदोही । कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू है , जिस कारण सभी स्कूल , कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद हैं , ऐसे में यह निश्चित है कि इससे छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है , सरकार ने शैक्षिक संस्थाओं को निर्देश दिये हैं कि आनलाइन कक्षायें शुरू की जायें , जिससे बच्चों की पढ़ाई में कोई समस्या न आये , सरकारी स्कूलों के लिए भी यही निर्देश दिये गये हैं , उत्तर प्रदेश में भी प्राइवेट समेत सभी सरकारी स्कूलों में आनलाइन कक्षायें शुरू की गयी हैं , यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को निर्देश दिये कि सभी शैक्षिक संस्थानों में ऑनलाइन कक्षायें शुरू करवाएं और इसको लेकर स्थाई मॉडल पर काम करें |
 मगर असल सवाल यह है कि जिन घरों में लॉकडाउन के चलते दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल हो गया है, उनके बच्चे आनलाइन कक्षाओं में हिस्सा कैसे ले पायेंगे , क्या उन घरों में एंड्रायड फोन हैं , और हैं भी तो पहले से ही मुश्किलों में जी रहे हैं इस महंगाई में क्या यह एंड्राइड मोबाइल को रिचार्ज करवा सकते हैं , गौरतलब बात यह है कि गांव कस्बों या शहरों के सरकारी स्कूलों में अधिकांश वही बच्चे पढ़ने जाते हैं जिनके अभिभावक मजदूर, कृषक ,या थोड़ी तनख्वाह में प्राइवेट नौकरी कर परिवार का जीवकोपार्जन कर रहे होते हैं |
ऐसे में उनके सामने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दिलवाना एक कठिन कार्य है जिसके चलते सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे गरीबों के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा बे मकसद भी साबित हो सकती है , इसके संबंध में सेवा सदन इंटर कालेज के प्रधानाचार्य अखिलेश यादव ने बताया कि हमारे विद्यालय में कक्षा 1 से पांच तक 390छात्र एवं छात्राएं पंजीकृत हैं ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए जब उन बच्चों के अभिभावकों को खंगाला गया तो मात्र 150 अभिभावकों के पास एंड्राइड मोबाइल उपलब्ध हैं  ।