जो कौम का नहीं वो किसी काम का नहीं :- सेन हरिकेश शर्मा नंदवंशी

मुंबई |      हमेशा क्रांति की सुरुवात कोई एक व्यक्ति ही करता है तब जाके परिवर्तन होता है मै अपने समाज के महापुरषो द्वारा सामाजिक वैचारिक क्रांति की चर्चा करते हुए कह रहा हूॅ कि अपने इतिहास को पलट कर देखिए आज भारत देश उनके बनाए हुए नक्शे कदम की मांग कर रहा है हर व्यक्ति चाहता है की कर्पूरी ठाकुर फार्मूला अतिशीघ्र क्रियांवित किया जाये लेकिन ऐसे कार्य पर हमारे समाजसेवी कदापि चिंतित नही है समाज सेवी नाम मे अग्रसर कर लेने से कोई नेता नही बन जाता है कितने लोग माईक छीन कर भाषण देना , डी.पी. बनाकर सोशल मीडिया पर प्रकाशित करना , अपने ही सहयोगी के सहयोग को भूल जाना , समारोह मे आर्थिक घोषणा कर बाद मे मुकर जाना , झूठे संवाद करना , स्वार्थ से बशीभूत होकर सामूहिक रूप से किये जाने वाले कार्यक्रम का श्रेय केवल खुद लेना ऐसे व्‍यक्ति को दानव की संज्ञा दी जाती है नही की समाजसेवी की कितने संगठन में पद की भी खरीद फरोख्त की जा रही है तो ऐसे संगठन के अध्यक्ष और पदाधिकारी समाज किस रूप से भला करेंगे यह दिग्दर्शित है उन अज्ञानी पदाधिकारी को इतना भी ध्यान नही आता है कि राजनीतिक पार्टी में पद की खरीद फरोख्त की जाती हैं सामाजिक संगठनों में नहीं , पद सामाजिक कार्य में निपुण लोगों को प्राथमिकता के आधार पर दिया जाता है अत: समाज के लिए अग्रसर होकर समाज हित मे किया गया कार्य वास्तविक समाज सेवा का प्रतीक है इन्हे समझने की कोशिश करनी होगी समाज के साथ संवेदनशील होकर समाज की सेवा करना ही वास्तविक समाज सेवा है समाज सेवा निस्वार्थ होनी चाहिए केवल पगड़ी , साफा , माला मंच पर आसीन होना समाज सेवा का लक्ष्य नही होना चाहिए आज भी समाज मे कुछ बिलक्षण भगीरथ समाज सेवा मे लिप्त है जो निस्वार्थ समर्पण भाव से समाज सेवा कर रहे है एक राष्ट्रीय संगठन का निर्माण कर सभी संगठनों का विलय कर सभी समल्लित संगठन का उद्देश्य है संगठित होकर समाज के कल्याण , समाज को आगे बढाना , समाज को कुरूतियों से मुक्ति दिलाकर एक शिक्षायुक्त , सभ्य और संस्कारवान , उन्नतिशील , प्रगतिशील , सुसंगठित , समाज के उत्थान का निर्माण करना कुशल संगठक यह जानते है कि समाज का वास्तविक विकास और उत्थान करना है तो समाज की आधी शक्ति यानी नारी शक्ति को आगे लाना ही होगा सर्वांगीण , चहुंमुखी विकास यदि चाहते हो तो समाज मे आगे लायो उन्हे घूँघट , चूल्हे – चौकट एंव घर की चार दिवारी से बाहर से निकलने का अवसर दें वैसे भी कहा जाता है कि माता ही यदि है अज्ञान – तो पुत्र कहा से बने महान , तो आइये हम सब महान पुनीत कार्य मे निस्वार्थ समर्पण भाव से एक संगठन मे समल्लित होकर समाजोत्थान मे सहभागी बने :- सैन हरिकेश शर्मा नन्दवंशी   |