ठाणे जैन मंदिर में धूमधाम से चल रहा है पर्युषण का आयोजन

ठाणे |      कोंकण शत्रुंजय तीर्थ में चातुर्मास में विराजमान प.पू.आ.सागरचंद्र सागरसुरीश्वर म.सा.के शिष्यरत्न गणिवर्य श्री तीर्थ चंद्रसागर म.सा प्रवचनकार पद्मयशसागर म. सा साधविवर्या रातनशिलाश्रीजी म.सा आदि ठाणे एवं ठाणा संघ की विनती को मान देकर सर्वोदय नगर मुलुंड से पधारे साध्वीवर्या लब्धि विक्रम राजयशसुरी समुदाय की संभवयश श्रीजी म.सा आदि ठाणा कि पावन निश्रा में पर्वा धीरज पयुर्षण पर्व का शुभारंभ हुआ पर्व दरम्यान पयुर्षण की महिमा के बारे में बताते हुए कहा कि भगवान महावीर के शासन में पयुर्षण की महिमा सार्वधिक है वैसे तो सभी पर्व का सार आत्मशुद्धि है मगर मुख्य रूप से इस पर्व में होने वाले संवत्सरिक पर्व व प्रतिक्रमण है पापयुक्त आचारों व विचारो से मलिन हो चुकी आत्मा को शुद्ध व स्वच्छ करने का उपक्रम यह प्रतिक्रमण है संवत्सरी पर्व की आराधना हेतु शास्त्रकारों ने पयुर्षण कल्प की आराधना बताई है जिसमे प्रथम – अमारी अर्थात अहिंसा किसी भी जीव को अहिंसा से बसना , द्वितीय – साधर्मिक भक्ति , तृतीय – अठम तप तीन उपवास करना , चतुर्थ – क्षमाना किसी भी कारण से किसी जीव का दिल दुखाया हो तो क्षमा मांगना पांचवा – चैत्य परिपाटी मन्दिर व दूसरों का दर्शन करना व ग्यारह कर्तव्यों का पालन करना , कल्पसूत्र में तीन विभाग बताए गए हैं जिसका इक्कीस बार विधि पूर्वक श्रवण करने व सुनने वाला आठ कर्मों से मुक्ति प्राप्त करता है इस अवसर पर मंत्रोक्षार के द्वारा भोजनशाला परिसर में किया इस अवसर पर ट्रस्ट मंडल के शा.उदयकुमार मांगीलाल परमार(मैनेजिंग ट्रस्ट) , शा.रमेशकुमार अचलचंद पुनमिया (उप मैनेजिंग ट्रस्ट) , शा.उत्तमचंद उमेदमल सोलंकी (अध्यक्ष) , संघवी शा.उत्तमचंद केशरमल ढेलरिया वोरा (सेक्रेटरी) , शा.संपतराज दानमल कंकु चोपड़ा (उप सेक्रेटरी) , शांतिलाल रूपचंद पारेख (कोषाध्यक्ष) , नेमीचंद खिमजी जिजावत (उप सेक्रेटरी) , संघवी शा.महावीरचंद देवीचंद पुनमिया (भोजनालय व्यवस्थापक) , सुकनराज गुलाबचंद पिरवला परमार (आयंबिल शाला व्यवस्थापक) , प्रकाशकुमार छगनराज पुनमिया (साधु-साध्वी व्यवस्थापक) , वसंतकुमार छोगमल राठौड़ (मंदिर व्यवस्थापक) , सुरेशकुमार फूलचंद छाजेड़ (पाठशाला व्यवस्थापक) ट्रस्ट मंडल संघ सदस्य व बहनें उपस्थित रही   |