डॉ शिशिर कुमार ने किसान को सलाह दी है कि यह समय हरी खाद हेतु उपयुक्त

फसलों का भरपूर उत्पादन तभी संभव है जब हमारे खेतों की उत्पादन क्षमता अच्छी हो , आज सघन कृषि पद्धति के विकास तथा अधिक उत्पादन प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा ने रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग को बढ़ावा दिया है , जिस कारण हमारे खेतों से पौधों की वृद्धि हेतु आवश्यक पोषक तत्व समाप्त होते जा रहे हैं रासायनिक उर्वरकों द्वारा हमारे खेतों में नाइट्रोजन फास्फोरस तथा पोटाश तत्वों की पूर्ति तो हो जाती है किंतु मृदा कार्बनिक पदार्थ, जल धारण क्षमता तथा मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता बढ़ाने में इनका कोई योगदान नहीं होता , उर्वरकों के बढ़ते दाम तथा गोबर की खाद एवं कंपोस्ट खाद जैसे कार्बनिक स्रोतों की सीमित आपूर्ति के कारण ढैंचा की हरी खाद का महत्व और बढ़ जाता है , हरी खाद हेतु ढैंचा सर्वाधिक प्रचलित एवं उत्तम दलहनी फसल है , क्योंकि यह भूमि एवं जलवायु की विभिन्न परिस्थितियों के अनुकूल है |
प्रसार निदेशालय, शुआट्स, प्रयागराज के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर शिशिर कुमार ने किसान भाइयों को सलाह दी है कि यह समय हरी खाद हेतु ढैंचे की बुवाई के लिए उपयुक्त है जिससे धान की रोपाई से पूर्व ढैंचे की पलटाई समय से हो सके  बुवाई पूर्व यदि खेत में नमी ना हो तो एक पलेवा अवश्य कर लें तथा बीज दर 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें , बुवाई के समय 20 से 25 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें जिससे फसल की वानस्पतिक वृद्धि अच्छी हो सके , ग्रीष्मकालीन ढैंचे की फसल में 2 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है , हरी खाद के लिए बोई गई ढैंचा की फसल बुवाई के 40 से 45 दिन बाद खेत में पलटने योग्य हो जाती है , ढैंचा की हरी खाद से मृदा में जीवांश पदार्थ की वृद्धि होती है तथा इससे प्राप्त पोषक तत्व मृदा में स्थाई होते है |
ढैंचा की हरी खाद से लगभग 70 से 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक नाइट्रोजन भूमि में संचित हो जाती है , साथ ही खरपतवारों की रोकथाम भी होती है , डॉक्टर शिशिर कुमार ने कोरोना वायरस के गंभीर फैलाव को देखते हुए किसानों को सलाह दी है की कृषि कार्य के दौरान भारत सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन अवश्य करें स्वच्छता, मुंह ढकने हेतु गमछे या मास्क का उपयोग, साबुन से समय-समय पर हाथ धोना तथा एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने पर विशेष ध्यान दें |