प्रदीप शर्मा के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट साथी का शिवसेना में है बड़ा रुतबा , जानिए कौन ?

मुंबई |        एंटीलिया केस में मनसुख हिरेन का शव संदिग्ध हालात में मिलने के बाद से मुंबई पुलिस के एक अधिकारी का नाम विवादों में आ गया है और वह नाम सचिन वझे है बता दे कि वझे पहले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे और उनके काम की तारीफ शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे भी कर चुके हैं 49 साल के सचिन वझे का पुलिस विभाग का करियर 30 साल रहा है इसमें से 12 साल तक वे पुलिस विभाग से बाहर रहे हैं और शिवसेना की सरकार आने के बाद ही उन्होंने जून 2020 में पुलिस फोर्स में वापसी की और तब से ही वझे को तमाम बड़े केस सौंपे गए फिर चाहे वह अर्णब गोस्वामी का TRP घोटाला हो या फिर बॉलीवुड का कास्टिंग काउच रैकेट हो और आपको बता दे कि 1990 में सचिन वझे महाराष्ट्र पुलिस में आए और उनकी पहली पोस्टिंग सब इंस्पेक्टर के रूप में गढ़चिरोली में हुई और यह इलाका नक्सलियों का इलाका है।हालांकि दो साल बाद ही उनकी पोस्टिंग मुंबई से सटे ठाणे जिले में हो गई , 49 वर्ष के वझे ने अपने कार्यकाल में 63 एनकाउंटर किए है एवं 3 मार्च 2004 को ख्वाजा यूनूस की मौत के मामले में उनके साथ 12 पुलिस वाले सस्पेंड हुए , सचिन वझे उन्हीं मे से एक थे , यूनूस ख्वाजा की कस्टडी में मौत के मामले में वे सस्पेंड रहे और फिर उन्होंने इस्तीफा दिया , बता दे कि ख्वाजा युनूस 2 दिसंबर 2002 घाटकोपर बम ब्लास्ट केस का मुख्य आरोपी था           |

आपको बता दे कि सस्पेंशन के दौरान कई कोशिशों के बावजूद वझे को मुंबई पुलिस में दोबारा एंट्री नहीं मिली तो 30 नवंबर 2007 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया जिसके बाद वे 2008 में शिवसेना से जुड़ गए , सरकार के निर्देश पर तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने ख्वाजा युनूस मौत केस में सभी पुलिस वालों का सस्पेंशन वापस ले लिया और इस तरह 12 साल शिवसेना की राजनीति करने के बाद सचिन वझे की पुलिस फोर्स में दोबारा वापसी हुई एवं आपको यह भी बता दे कि वझे के गुरू एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ने 2019 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना का हाथ थामा , वे चुनाव भी लड़े पर हार गए प्रदीप शर्मा ने 113 एनकांटर किया एवं सचिन वझे , प्रदीप शर्मा , दया नायक और विजय सालस्कर मुंबई पुलिस के एनकाउंट टीम के प्रमुख हिस्सा रहे हैं बता दे कि वझे को 7 जून 2020 को पुलिस विभाग में वापस रखने का फैसला एक रिव्यू कमिटी द्वारा लिया गया और इस रिव्यू कमिटी के प्रमुख परमबीर सिंह हैं अमूमन किसी भी पुलिसकर्मी को वापस रखने के लिए इस तरह की कमिटी ही फैसला करती है वैसे वझे पहले अधिकारी नहीं हैं जिन्हें वापस रखा गया है इससे पहले जब परमबीर सिंह ठाणे पुलिस के कमिश्नर थे तब भी उन्होंने सितंबर 2017 में प्रदीप शर्मा को एंटी एक्सटॉर्सन सेल में वापस रखा था और प्रदीप शर्मा भी फर्जी एनकाउंटर के मामले में पुलिस विभाग से सस्पेंड थे          |

जानकारी के लिए बता दे कि परमबीर सिंह 1990 में मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच में डी.सी.पी. रह चुके हैं उन्होंने मुंबई में गैंगस्टर और माफियाओं को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है प्रदीप शर्मा जैसे लोग उनकी उस टीम का हिस्सा हुआ करते थे यही वजह है कि जब परमबीर सिंह कमिश्नर बने तो उन्होंने फिर से उस टीम के सदस्यों को वापस बुलाने का काम चालू किया और हर पुलिस यूनिट के पास एक रिव्यू कमिटी होती है जो इस तरह के अधिकारियों को वापस रखने पर फैसला लेती है बता दे कि सचिन वझे का जन्म महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके कोल्हापुर में 1972 में हुआ था , वे कोई बहुत बड़े अधिकारी पद पर नहीं हैं रैंकिंग देखी जाए तो राज्य की सिविल सेवाओं को क्लीयर करने के बाद पहली पोस्टिंग सब इंस्पेक्टर रैंक पर हुई , वझे अभी असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर हैं और वझे की पहली पोस्टिंग नयागांव पुलिस हेडक्वार्टर में हुई और कुछ ही दिन में उन्हें क्राइम इंटेलीजेंस शाखा में भेज दिया गया यहां आने पर उनके पास कई हाई प्रोफाइल केस थे , टी.आर.पी. केस में अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी , अन्वय नाइक आत्महत्या , स्पोर्टस कार घोटाले में दिलीप छाबरिया का केस और बॉलीवुड टीवी इंडस्ट्री का कास्टिंग काउच रैकेट का केस भी उन्हीं के पास था , महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में मनसुख की पत्नी के हवाले से सचिन वझे पर हत्या का आरोप लगाया , अब इस पूरे मामले की जांच महाराष्ट्र ATS और NIA दोनों कर रही हैं एंटीलिया केस से पहले सचिन वझे का नाम मुंबई और महाराष्ट्र के बाहर कम ही लोगों ने सुना था                |