बिहार में उद्योग लाने पर  80% खर्च उठाएगी सरकार 

पटना  | कोरोना की वजह से लाखो लोग बेरोजगार हो गए है जिसके लिए बिहार सरकार ने एक अहम फैसला लिया है कोरोना संकट के चलते दूसरे राज्यों से लाखों की संख्या में लौटे कामगारों को यहीं रोजगार मिले , इसके लिए राज्य सरकार ने औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2016 में संशोधन को मंजूरी दी है इसके तहत बिहार में उद्योग लगाने के लिए ढेर सारे ऑफर दिए गए हैं जिन इकाइयों में मैनपावर की जरूरत अधिक होगी, उसे प्राथमिकता दी जाएगी , दूसरे राज्यों से बिहार में औद्योगिक इकाइयां शिफ्ट करने वाले उद्यमियों को न केवल शिफ्टिंग खर्च , बल्कि कच्चा माल लाने और तैयार माल को बाजार में पहुंचाने में जो खर्च होगी , उसका 80 फीसदी तक सरकार देगी ।

लेकिन इसके लिए उद्यमियों को कम से कम 25 लाख रुपए का निवेश और 25 लोगों को रोजगार देना होगा , कच्चा माल और तैयार माल की आवाजाही के खर्च को देने की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए तय की है संशोधित नीति को कैबिनेट ने शुक्रवार को मंजूरी दी यह नीति 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी ।

बता दे कि नई नीति में कई तरह के उद्योगों को सामान्य सूची से बाहर कर प्राथमिक सूची में रखा है राज्य के हर जिले में कम से कम दो औद्योगिक क्लस्टर विकसित किया जाएगा विकसित करने की जिम्मेदारी राज्य के लोक उपक्रम(पीएसयू) को दी जाएगी बड़ी राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम लगाने की भी बात है।
प्रवासियों के लिए प्रावधान : जिला स्तर पर प्रवासी श्रमिकों की स्किल मैपिंग होगी , जिला स्तरीय परामर्श समिति मैपिंग की जानकारी राज्यस्तरीय समिति को देगी यह समिति कामगारों को रोजगार के बारे में बताएगी जो स्वरोजगार करना चाहेंगे, उन्हें रुपए दिए जाएंगे ।