बीएमसी के ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को कालिख पोतेगी राकांपा

कलवा पुल के निर्माण का काम चार साल बाद भी अधूरा  
समर प्रताप सिंह
ठाणे । ठाणे शहर के कलवा खाड़ी पर यातायात समस्या से मुक्ति के लिए तीसरे पुल का निर्माण किया जा रहा है , लेकिन निर्माण कार्य धीमी होने के कारण चार साल पूरा होने के बाद भी अधूरा पड़ा है ।
जबकि पुल निर्माण का कार्य तीन साल में ही पूरा किया जाना था, इस स्थिति में कलवा, विटावा के साथ ही ठाणे शहर को भी परेशानी का सामना करना पड़ा है , ऐसा  सनसनी खेज खुलासा करते हुए राकांपा के ठाणे शहर अध्यक्ष आनंद परांजपे तथा ठाणे मनपा में विरोधी पक्षनेता मिलिंद पाटील ने आरोप लगाया है कि पुल निर्माण का काम जिस ठेकेदार को दिया गया है वह पहले से ही बीएमसी में ब्लैकलिस्टेड है ।
चेतावनी दी गई है कि यदि जल्द पुल निर्माण का काम पूरा नहीं किया गया तो राकांपा ठेकेदार को कालिख पोतेगी , कलवा पुल निर्माण में हो रही देरी के लेकर ठाणे मनपा प्रशासन भी राकांपा के रडार पर है , प्रशासन से सवाल किया गया है कि वे बताएं पुल निर्माण का कार्य कब तक पूरा होगा ।
स्थिति ऐसी है कि चार साल होने के बाद भी अभी तक पुल निर्माण का ६० प्रतिशत काम भी नहीं हो पाया है , इस स्थिति को देखते हुए मनपा प्रशासन से कहा गया है कि वे वर्तमान ठेकेदार को हटाकर किसी नए ठेकेदार का चयन करें , अन्यथा राकांपा अपनी स्टाइल से विरोध जताएगी ।
ऐसी चेतावनी देते हुए परांजपे ने कहा है कि पुल निर्माण का काम समय पर नहीं होने के कारण कलवा और विटावा के लोगों को यातायात समस्या का सामना करना पड़ रहा है ,परांजपे ने कहा कि ब्रिटिशकालीन पूल के बंद करने के बाद अब एक पुल अस्तित्व में है , जिस कारण वाहनों का भार बढ गया है ।
 इसको देखते हुए चार साल पहले नए पुल के निर्माण का काम शुरू हुआ था , पुल निर्माण का काम सितंबर, २०१८ में पूरा करना था, लेकिन पुल का ६० प्रतिशत निर्माण कार्य भी अब तक नहीं किया गया है , मनपा विरोधी पक्ष नेता मिलिंद पाटिल ने कहा कि पुल का काम करने वाली जे कुमार नामक  कंपनी को मुंबई मनपा ने ब्लैक लिस्टेड किया है उसी कंपनी को ठाणे मनपा ने वर्ष 2014 में वर्क ऑर्डर दिया गया था ।
फुल की लागत १८३ करोड़ है , इसी दौरान राकां नगरसेवक सुहास देसाई ने कहा कि मनपा प्रशासन और इस विभाग के मंत्री इस पुल को लेकर गंभीर नहीं हैं , जबकि आनंद परांजपे ने पालकमंत्री एकनाथ शिंदे और स्थानीय सांसद श्रीकांत शिंदे की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए , उनका यहां तक आरोप था कि  पिता और पुत्र सिर्फ कमीशनखोरी में लिप्त है ।