भगवान विष्णु के अनंत रूप के पूजा का पर्व है अनंत चतुर्दशी :- अशोक विश्वकर्मा

वाराणसी |     भादो मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है अनंत चतुर्दशी पर सूत्र बांधने की परंपरा है सूत्र को लेकर यह मान्यता है कि इस अनंत सूत्र में भगवान विष्णु का वास होता है भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद इसे बांह में बांधा जाता है अनंत सूत्र को पहनने से पहले यह जान लेना चाहिए कि अनंत सूत्र में 14 गांठें होनी चाहिए क्योंकि 14 गांठों को 14 लोकों से जोड़कर देखा जाता है मान्यता है कि भौतिक जगत में 14 लोक है जिनमें भूर्लोक , भुवर्लोक , स्वर्लोक , महर्लोक , जनलोक , तपोलोक , ब्रह्मलोक , अतल , वितल , सतल , रसातल , तलातल , महातल और पाताल लोक शामिल है इन लोको की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने 14 विभिन्न रूपों में अवतार लिया जिससे उन्हें अनंत होने का नाम प्राप्त हुआ अनंत सूत्र में लगने वाली प्रत्येक गांठ एक लोक का प्रतिनिधित्व करती है ऐसी मान्यता है कि अनंत सूत्र बांधने से समस्त प्रकार की परेशानियों और दुखों से मुक्ति मिलती है इस दिन गणेश विसर्जन का भी पारंपरिक विधान है यह पूजा पर्व भारत के कई राज्यों में प्रचलित है इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं सुख समृद्धि और कल्याण की भावना से परिवार के सदस्यों द्वारा सुनी जाती है    |