भारतीय स्वतंत्रता का ऐतिहासिक आंदोलन अंग्रेजों भारत छोड़ो :- अशोक विश्वकर्मा

वाराणसी |     भारत छोड़ो आन्दोलन , द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त १९४२ को आरम्भ किया गया था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद ९ अगस्त सन 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध अवज्ञा आन्दोलन था , क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया 8 अगस्त 1942 की शाम को मुंबई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के सत्र में आंदोलन की रणनीति तय की गई जिसे अंग्रेजों भारत छोड़ो का नाम दिया गया था हालांकि गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया ऐसा माना जाता है कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आखिरी सबसे बड़ा आंदोलन था , जिसमें सभी भारतवासियों ने एक साथ बड़े स्तर पर भाग लिया था कई जगह समानांतर सरकारें भी बनाई गईं , स्वतंत्रता सेनानी भूमिगत होकर भी लड़े , यह आंदोलन ऐसे समय में प्रारंभ किया गया जब द्वितीय विश्वयुद्ध जारी था औपनिवेशिक देशों के नागरिक स्वतंत्रता के प्रति जागरूक हो रहे थे और कई देशों में साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन तेज होते जा रहे थे 14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया एवं 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस की बैठक मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में हुई और भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव को मंजूरी मिली इस प्रस्ताव में यह घोषणा की गई थी कि भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति भारत में स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र की स्थापना के लिए अत्यंत आवश्यक हो गई है अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है भारत छोड़ो आंदोलन देश की आजादी के लिए एक निर्णायक क्रांतिकारी संघर्ष था आजादी की जो इच्छा और उसे हासिल करने की ताकत भारत के जनमानस में पैदा हुई थी उसका अंतिम प्रदर्शन भारत छोड़ो आंदोलन था  |