महाराष्ट्र के लिए वरदान साबित हो सकता है बाढ़ का पानी
ठाणे | कोकण और पश्चिम महाराष्ट्र में आई भीषण बाढ़ के कारण भारी आर्थिक क्षति होने के साथ ही जनहानि भी हुई और हर साल महाराष्ट्र के कोई न कोई भागों में बाढ़ की विभीषिका बनी ही रहती है बाढ़ के कारण हो रही क्षति और बर्बादी को लेकर दिशा ग्रुप सामाजिक संस्था के अध्यक्ष भास्कर बैरीशेट्टी ने राज्य के सी.एम. उद्धव ठाकरे के साथ ही महाविकास आघाड़ी सरकार से आग्रह किया है कि यदि उपयुक्त उपाय योजना इन बाढ़़ों से बचने के लिए जाए तो बाढ़ का यह पानी महाराष्ट्र के लोगों को खुशहाली दे सकता है इतना ही नहीं बाढ़ का यह पानी महाराष्ट् के लिए वरदान भी साबित हो सकता है। इस बाबत बैरीशेट्टी ने राज्य सरकार को निजी सुझाव देते हुए आग्रह किया है कि यदि बाढ़ के पानी के बहाव को रोकने की जगह उसे अन्य स्थानों पर पाईप लाईन के माध्यम से ले जाने का प्रयास किया गया तो बाढ़ से मुक्ति सदैव के लिए मिल जाएगी और गत कई सालों से देखा जा रहा है कि बारिश के दौरान जब-जब जलबांधों में पानी का जलस्तर पूरी तरह से भर जाता है तो अतिरिक्त पानी को निकालने जलबांधों का दरवाजा खोल दिया जाता है और ये छोड़े गए पानी नदी या समुद्र में जाकर मिल जाती है लेकिन इस महत्वपूर्ण पानी का उपयोग सामान्य लोग नहीं कर पाते हैं इन बातों का जिक्र करते हुए बैरीशेट्टी का कहना है कि महााष्ट्र के जिन भागों में नियमित तौर पर अधिक वर्षा या अतिवृष्टि होती हैं वहां स्थित जलबांधों का जलस्तर पूरी तरह से भर जाता है जब जलबांधों की क्षमता से अधिक पानी जमा होता है तो उस स्थिति में अतिरिक्त पानी निकट के गांवों में घुस जाने से वहां बाढ की स्थिति आ जाती है जिस काण प्रभावित गांवों में जनहानि के साथ ही आर्थिक क्षति भी होती है एवं विनाशकारी बाढ के कारण लोगों को विस्थापित होने के लिए विवश होना पड़ता है इतना ही नहीं ऐसे विस्थापितों के पुनर्वसन में सरकार को करोड़ों-अरबों का खर्च करना पड़ता है लेकिन इसके बाद भी इस आपदा के प्रभाव से लोग मुक्त नहीं हो पाते हैं उनकी स्थिति दयनीय ही बनी रहती है |
आपको बता दे कि इस बार जारी बारिश के दौरान महाड , चिपलूण के गांवों में भी ऐसी विनाशकारी स्थिति देखने को मिली , इसकी रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद अब निर्णय लिया गया है कि पानी बहनेवाले मार्ग पर एक दीवार बांधने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है यह स्वागतयोग्य कदम है इस पहल के अच्छे परिणाम निकलेंगे ऐसी आशा है लेकिन इसके साथ ही पानी की गति और बनाई जानेवाली सुरक्षा दीवार की मजबूती पर विचार किए जाने की आवश्यकता है लेकिन यदि तेज गति से बहनेवाले पानी को रोकने की जगह यदि उसे नैसर्गिक या मानव निर्मित मार्ग दिया जाए तो वह अधिक सुरक्षित होगा , इन बातों का जिक्र करते हुए समाजसेवी औ पर्यावरणप्रेमी भास्कर बैरीशेट्टी का कहना है कि बाढ़ के पानी को कैसे लाभकारी बनाया जा सकता है इसका सबसे अच्छा उदाहरण संसार में खनिज तेल का उत्पादन वाले देश हैं तथा तेल उत्पादन करनेवाला देश पाईप लाईन के द्वारा हजारों किलोमीटर दूरी तक तेल की सप्लाई करता है इसी तंत्रज्ञान का उपयोग यदि बाढ़ के पानी के संदर्भ में किया जाए तो सालाना देश को अरबों-खरबों की बचत होगी , यदि तेल बेचने के लिए एक देश दूसरे देश तक पाईप लाईन ले जा सकता है तो देश में ही बाढ के कारण होनेवाली क्षति को रोकने ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता है कहने का तात्पर्य है कि जलबांधों की क्षमता से अधिक पानी की निकासी के लिए सरकार उपयुक्त उपाय योजना पर अमल करे , इससे बाढ़ जैसी समस्याओं से सदा के लिए मुक्ति मिल जाएगी , इसकी गारंटी है आगे भास्कर बैरीशेट्टी का कहना है कि महााष्ट्र की भौगोलिक स्थिथति ऐसी है कि इसके कुठ भागों में भारी बारिश होती है तो कुछ भागों में पानी के लाले पड़ेे रहते हैं यानी वहां सूखे की स्थिति बनी रहती है और जिन भागों में नियमित तौर पर हर साल भारी बारिश होती है तथा जलबांध में क्षमता से अधिख पानी का संग्रूह होता है तो ऐसे अतिरिक्त पानी को पाईप लाईन के माध्यम से उन भागों तक पहुंचाया जाए जिन भागों में बारिश नहीं होती है जलबांधों के जलस्तर को संतुलित रखने के लिए ऐसी पहल यदि सरकार ने की तो बाढ़ से सदैव महाराष्ट्र मुक्त रहेगा , इसकी सौ प्रतिशत गारंटी है इस प्रयास से महाराष्ट्र में आर्थिक संंपन्नतता को नई गति मिलेगी , सरकार से बैरीशेट्टी का आग्रह है कि यदि इस तरह की पहल हुई तो सालाना होनेाली क्षति पर भी स्थायी विराम लग जाएगा , बाढ़ का पानी जो निकटवर्ती लोगों को रूलाता है वहीं पानी यदि दूसरी जगह पाईप लाईन के द्वारा पहुंचाया गया तो वहां हरियाली देखने को मिलेगी |