रक्षाबंधन पर 200 साल बाद दुर्लभ योग रात 8.25 से बांध सकेंगे राखी


डेस्क | रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का प्रतीक है जो भाई बहन के प्यार को दर्शाता है लेकिन इस बार रक्षाबंधन की तिथि और नक्षत्र को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है क्योंकि सावन की पूर्णिमा दो दिन यानी 11 और 12 अगस्त को है इस पर देशभर के ज्योतिषियों का कहना है कि भद्रा खत्म होने के बाद पूर्णिमा और श्रवण नक्षत्र का योग गुरुवार को ही बन रहा है , इसलिए 11 अगस्त की रात में ही राखी बांधना चाहिए जिसका योग करीब 1 घंटे 20 मिनट का होगा । 

ज्ञात हो कि 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि करीब 9:35 पर शुरू होगी जो कि अगले दिन सुबह तकरीबन 7.16 तक रहेगी वहीं गुरुवार को भद्रा सुबह 10.38 पर शुरू होगी और रात 8.25 पर खत्म होगी , इसलिए काशी विद्वत परिषद के विद्वानों का कहना है कि भद्रा का वास चाहे आकाश में रहे या स्वर्ग में जब तक भद्रा काल पूरी तरह खत्म न हो जाए तब तक रक्षा बंधन नहीं करना चाहिए , इसलिए 11 अगस्त, गुरुवार को रात 8.25 के बाद ही रक्षाबंधन मनाना चाहिए ।

तो वही रक्षाबंधन के समय को लेकर ग्रंथों में प्रदोष काल को सबसे अच्छा माना गया है यानी सूर्यास्त के बाद करीब ढाई घंटे का समय बहुत ही शुभ होता है और दीपावली पर इसी काल में लक्ष्मी पूजा की जाती है साथ ही होलिका और रावण दहन भी प्रदोष काल में करने का विधान है ज्योतिष ग्रंथों में बताया है कि इस समय किए गए काम का शुभ प्रभाव लंबे समय तक रहता है इसलिए इस काल में ही बहनो को अपने भाई के कलाई में राखी बाँध कर अपने इस पवित्र त्योहार को मनाना चाहिए ।