सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के चलते मजदूर मरने को विवश : अशोक विश्वकर्मा

वाराणसी  |  ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने श्रम कानूनों में किए गए संशोधन पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा उत्तर प्रदेश सरकार ने 7 मई को श्रम कानूनों में बदलाव करते हुए आगामी 3 वर्षों के लिए श्रम कानून से जुड़े 40 से अधिक नियमों में लगभग 8 को बरकरार रखते हुए शेष नियमों को निष्प्रभावी करने का निर्णय किया है , सरकार ने इसके लिए उत्तर प्रदेश टेंपरेरी एग्जेमपशन फ्रॉम सर्टन लेबर लाज ऑर्डिनेंस 2020 को मंजूरी प्रदान कर दी है ।

श्रम कानूनों के शिथिल होने से उद्योग और कल कारखाने निरंकुश होकर मनमाने एवं अमानवीय तरीके से श्रमिकों से काम कराने को स्वतंत्र हो गए हैं , इस कानून के चलते औद्योगिक विवादों को निपटाने श्रमिकों व ट्रेड यूनियनों के स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति ठेका व प्रवासी मजदूरों से संबंधित कानून सीधे तौर पर प्रभावित होंगे जिससे श्रमिकों की आवाज उठाने वाली संगठन व संस्थाएं भी निष्प्रभावी हो जाएंगी फलस्वरूप मजदूरों के शोषण और अन्याय के खिलाफ न्याय एवं अधिकारों की आवाज दबकर कर रह जाएगी , जिससे श्रम कानूनों में संशोधन के चलते              1 — उद्योगों को जांच और निरीक्षण से मुक्ति देने से कर्मचारियों का शोषण बढ़ेगा।
2– शिफ्ट व कार्य अवधि में बदलाव की मंजूरी मिलने से लोगों को बिना साप्ताहिक अवकाश के प्रति दिन ज्यादा घंटे काम करना पड़ेगा ।
3– श्रमिक यूनियनों को मान्यता न मिलने से श्रमिक कर्मचारियों के अधिकारों की आवाज कमजोर पड़ेगी।

4– पहले प्रावधान था कि जिन उद्योगों में 100 या इससे ज्यादा मजदूर है उसे बंद करने से पहले श्रमिकों का पक्ष सुनना होगा और अनुमति लेनी होगी किंतु अब ऐसा नहीं होगा।
5– मजदूरों के काम करने की परिस्थिति और उनकी सुविधाओं पर निगरानी खत्म हो जाएगी।
6– उद्योगों में बड़े पैमाने पर छंटनी और वेतन कटौती शुरू हो सकती है।
7— ग्रेच्युटी से बचने के लिए उद्योग ठेके पर श्रमिकों की हायरिंग बढ़ा सकते हैं ।

सरकार द्वारा प्रदेश में नए निवेश बढ़ाने की बात विगत वर्षों से कहीं जा रही है किंतु यह यथार्थ से कोसों दूर है , प्रदेश में मौजूदा उद्योग धंधों की हालत पहले से ही काफी खराब है , जिसके चलते उत्तर प्रदेश सहित आसपास के राज्यों के मजदूरों को बड़ी संख्या में काम और रोजी-रोटी की तलाश में अन्य राज्यों की ओर पलायन करना पड़ता है , कोरोना महामारी के दौर में कल कारखानों से बिना वेतन निकाले गए मजदूर भूख और बीमारी के चलते अपने घरों की ओर लौटने को विवश हुए सरकार के बदइंतजामी के चलते बड़ी संख्या में मजदूरों की मौत हुई किसकी जवाबदेही है ?

सबसे बड़ा सवाल यह है की जो प्रवासी मजदूर सब कुछ गंवा कर अपने घरों को लौट रहे हैं उनके रोजी रोटी और काम के लिए सरकार ने क्या इंतजाम किए है ।