सात लाख की आबादी दिवा शहर को चाहिए अपना डाकघर

ठाणे । दिवा शहर को अपना डाकघर चाहिए यहां की आबादी सात लाख से अधिक है लेकिन इस शहर को अपना पिन कोड उपलब्ध नहीं होने के कारण यहां रहने वाले नागरिकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, दिवा और मुंब्रा शहर की पहचान अलग – अलग है लेकिन डाक विभाग के तमाम कामकाज दोनों ही शहरों के लिए एक ही पिनकोड पर किया जा रहा है जिस कारण स्थानीय नागरिकों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है , सबसे अहम बात यह है कि सात लाख से अधिक की आबादी वाले दिवा शहर में स्वतंत्र पोस्ट ऑफिस नहीं उपलब्ध होने के कारण यहां के लोगों को कई तरह की विभागीय तकनीकी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है इस मामले को लेकर भाजपा की दिवा महिला मंडल अध्यक्षा ज्योति पाटिल ने केंद्र सरकार से मांग की है कि दिवा शहर के लिए जल्द से जल्द अलग पिन कोड नंबर उपलब्ध कराई जाए |

इस बाबत उन्होंने डाक विभाग प्रबंधन के साथ भी पत्राचार किया है ज्ञात हो कि दिवा में पोस्ट ऑफिस कार्यालय है जो मुंब्रा पोस्ट ऑफिस कार्यालय के अधीन काम करता है , दिवा में चल रहे पोस्ट ऑफिस कार्यालय में कर्मचारियों की भी भारी कमी है इस समस्या को देखते हुए ज्योति पाटील ने डाक विभाग प्रबंधन और केंद्र सरकार से मांग की है कि सात लाख की आबादी वाले दिवा शहर को स्वतंत्र डाकघर की सुविधा उपलब्ध कराई जाए ताकि यहां के लोगों को होने वाली परेशानी से मुक्ति मिल सके , बताया गया है कि दिवा शहर के लिए मुंब्रा शहर के पिन कोड  ४००६१२ का उपयोग हो रहा है जबकि दोनों ही शहरों की पहचान पूरी तरह अलग-अलग है । 

जहां मुंब्रा में नौ लाख से अधिक आबादी रहती है तो वही दिवा में भी आबादी का विस्फोट जारी है पाटिल ने मांग की है कि दिवा शहर के लिए स्वतंत्र पिन कोड आवंटित कराया जाए क्योंकि स्वतंत्र पिन कोड नहीं होने के कारण और मुंब्रा शहर के पिन कोड का इस्तेमाल करने के चलते यहां के लोगों को ऑनलाइन खरीदी सेवा और लोन सुविधा मिलने आदि में विभिन्न तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है उन्होंने मांग की है कि दिवा के लिए स्वतंत्र पोस्ट ऑफिस को मान्यता मिले , दिवा में स्वतंत्र पोस्ट ऑफिस नहीं होने के कारण नागरिकों को समय पर आने वाले पत्र और रजिस्ट्री आदि नहीं मिल पाता है इसके साथ ही दिवा में संचालित पोस्ट ऑफिस में कर्मचारियों की भी कमी है यहां कर्मचारियों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग भी ज्योति पाटिल ने की है ।