हज़रत अली प्रथम मुस्लिम वैज्ञानिक थे – मो.मिस्बाह खां 

भदोही ।  माहे रमज़ान की 19 तारीख का वह दिन था जब मुसलमानों के ख़लीफ़ा हज़रत अली पुत्र हज़रत अबू तालिब के सर पर सुबह की नमाज़ के दौरान सजदे की हालत में तलवार मारी गई थी और वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे तथा तीसरे दिन 21 रमजान को आपकी शहादत हो गई थी , हजरत अली पुत्र हज़रत अबू तालिब का जन्म 11 अक्टूबर 598 ई अर्थात 13 रजब 30 आमुलफ़ील को मुसलमानों के पवित्र स्थान काबे के अंदर हुआ था , आप की मां का नाम फ़ातिमा बिन्ते असद था हज़रत अली का विवाह मोहम्मद साहब की पुत्री बीबी फातिमा के साथ हुआ था आपके हसन, हुसैन, हज़रत मोहसिन सहित आदि पुत्र थे तथा ज़ैनब व उम्मे कुलसूम पुत्रियां थी , हजरत अली को पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है उन्होंने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुंचाया था , आप बड़े वीर योद्धा एवं न्याय प्रिय व्यक्ति होने के साथ-साथ गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करते थे तथा दहशतगर्दी के हमेशा मुखालिफ रहते थे ।
उपरोक्त जानकारी देते हुए मो.मिस्बाह खां ने बताया कि 19 रमजान को रोज़े की हालत में हजरत अली कूफ़े की मस्जिदे नवबी में नमाज़ पढ़ने गए तो सजदे की हालत में अब्दुर्रहमान पुत्र मुलजिम नामक व्यक्ति ने आप के सर पर ज़हर से बुझी तलवार मार दी जिसके चलते आप गंभीर रूप से घायल हो गए , घायल अवस्था में आपको मस्जिद से घर लाया गया तथा 21 रमजान 40 हिजरी 31 जनवरी सन् 661 ई को आपकी शहादत हो गई , हजरत अली की शहादत को लेकर 19 रमज़ान से 21 रमज़ान तक चाहने वाले आपकी याद ग़म के माहौल में मनाते हैं ।