नहीं रहे उत्तरभारतीयों के मसीहा बी.एन.सिंह

ठाणे |   ठाणे में उत्तरभारतीयों के मसीहा माने जाने वाले वरिष्ठ कामगार नेता एवं निष्ठावान कांग्रेस नेता बी.एन. सिंह का मंगलवार को जुपिटर अस्पताल में निधन हो गया और वे 76 वर्ष के थे , वह कुछ ही दिन पहले कोरोना को मात देकर अंस्पताल से घर वापस लौटे थे तथा अचानक तबीयत खराब होने पर उन्हें पुनः इलाज के लिए अस्पताल में दाखिल कराया गया था , मूलतः उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जनपद की लालगंज तहसील के कैथी शंकरपुर गांव के रहने वाले बाबू बी.एन. सिंह के परिवार में पत्नी , पुत्र , पुत्रवधु व नाती-पोतों का शुमार है बी.एन.सिंह के निधन पर महाराष्ट्र कांग्रेस के कई नेताओं , पदाधिकारियों , कार्यकर्ताओं व वरिष्ठ उत्तरभारतीयों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है |

गौरतलब की बात है कि वह ठाणे में करीब पिछले 5 दशकों से सामाजिक कार्यों में सक्रिय थे तथा इस दरम्यान वे प्रखर कामगार नेता भी रहे और शहर में कांग्रेस के खेवैया भी , पार्टी में विविध पदों पर रहते हुए उन्होंने हर एक जिम्मेदारी बड़ी निष्ठा व ईमानदारी से निभाई , वह अत्यंत मृदुभाषी , विनम्र , मिलनसार बी.एन. बाबू की गली – कूचे से लेकर शहर , राज्य व केंद्र तक के नेताओं में गहरी पैठ थी , जिनमें शिवसेना ठाणे जिले के प्रमुख आनंद दिघे , मौजूदा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह , महाराष्ट्र में मंत्री रहे जावेद खान , डाॅ. राममनोहर त्रिपाठी , चंद्रकांत त्रिपाठी आदि समेत कई नामी हस्तियों का समावेश था तथा यूपी से अपना दल के सांसद हरिवंश सिंह व महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री रहे कृपाशंकर सिंह से तो उनका नाता बहुत ही गहरा था , बता दे कि वे राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठ सभी दलों के नेताओं से समन्वय बनाकर आम जनता की समस्याएं सुलझाने के हुनर में माहिर थे , तभी तो रेमंड कंपनी में ट्रेड यूनियन लीडर रहते हुए उन्होंने उस दौर में उत्तर भारत की ओर चलने वाली ट्रेनों को लेकर कई उल्लेखनीय आंदोलन किए , जिन्हें रेल मंत्रालय ने गंभीरता से लिया और फिर सभी प्रमुख ट्रेनें आते – जाते ठाणे स्टेशन पर ठहरने लगी , उन्हीं की पहल पर ठाणे में रेल प्रशासन ने अन्य सुधार भी किए थे , उनकी निधन की खबर मिलते ही ठाणे कांग्रेस और उत्तरभारतीय शोक में डूब गया है |

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