पुत्र के दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा जीवित्पुत्रिका व्रत 

गोरखपुर / जोखन प्रसाद |     अश्विन मास के कृष्णपक्ष में पड़ने वाले जिवित्पुत्रिका (जिउतिया) व्रत को महिलाओं ने निराजल रहकर पुत्र की दीर्घायु की कामना की गुरूवार को पुत्र व सौभाग्य की रक्षा के लिए किया जाने वाला महत्वपूर्ण व्रत जीवित्पुत्रिका को माताओं ने श्रद्धा भक्ति व परंपरागत रुप से रखा माताओं ने पूरा दिन निराजल रह कर रही और पूजन – अर्चन कर सौभाग्य एवं वंश वृद्धि की कामना की व्रती महिलाओं ने निराजल अर्थात बिना अन्न जल का व्रत रखा और बरियार के पौधे की सिंदूर , अक्षत भेंटकर अकवार आदि देकर विधि विधान से पूजा अर्चना की देवी जीवित्पुत्रिका कथा राजा जीमूतवाहन की कुश की आकृति बनाकर उनकी भी पूजा हुई और महिलाओं ने पूजा अर्चन के साथ ही नदी , घाटों , तालाब , पोखरों पर थाली में फल , फूल , केला , नारियल , सेव , चीनी की बनी मिठाईयां आदि रखकर एक जगह इकट्ठा होकर महिलाएं कथा कहानी कही व सुनी जीवित्पुत्रिका की विशेष व्रत के लिए महिलाओं ने विभिन्न प्रकार की रंग – बिरंगे जिउतिया भी खरीदे जिन्हें शुक्रवार की सुबह पूजन अर्चन पारन के पश्चात हुए अपने पुत्रों को धारण कराएंगी और फिर स्वयं उसे धारण कर लेंगी अनेक व्रती महिलाओं ने मंदिरों में भी जाकर देवी देवताओं का विधि – विधान से पूजन अर्चन दर्शन किया व्रत से पूर्व महिलाओं ने सप्तपुत्रिका (सरपुतिया) की सब्जी भी ग्रहण किया ऐसी मान्यता है कि इसी प्रकार उनके वंश को भी वृद्धि हो प्रातः काल व्रती महिलाएं पारन के लिए उस गाय के दूध का प्रयोग भी करेंगी जिसकी बछड़ा हो मान्यता के अनुसार बछड़ा पुत्र का प्रतीक माना जाता है अतः पारन के बाद महिलाओं द्वारा बछड़े वाली गाय के दूध में भिगोकर जिउतिया को पुत्रों को धारण कराया जाएगा क्षेत्र के उपनगर गोला के पक्का घाट बेवरी के श्याम घाट डाड़ी खास ब्रह्म स्थान पर बारानगर के मां कालिका घाट बिसरा रामा मऊ मेहरा तुरकौलिया नरहन रानीपुर ककरही डाड़ी जानीपुर आदि क्षेत्र के घाटों पर माताओं व महिलाओं ने एक जगह इकट्ठा होकर कथा कहानी सुनकर अपने पुत्र के दीर्घायु की कामना की    |