राम मंदिर शिलान्यास के मुहूर्त से खुश नहीं हैं शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती

भोपाल  |     अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के शिलान्यास की तारीख तय कर दी गयी है वह तारीख 5 अगस्त है लेकिन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती राम मंदिर शिलान्यास के मुहूर्त से खुश नहीं हैं उनका कहना है की यह तारीख अशुभ है हम राम भक्त है मंदिर का निर्माण शुभ समय शुभ तिथि और सुबह मुहर्त में होना चाहिए स्वरूपानंद ने कहा कि अगर मंदिर जनता के पैसे द्वारा बनाना है तो जनता से राय लेना चाहिए , अयोध्या में मंदिर के शिलान्यास को लेकर संतों के बीच छोटी – मोटी प्रक्रिया देखने को मिली है अयोध्या के संत समाज ने स्वरूपानंदजी को चुनौती तक दे डाली ये तक कह डाला कि शास्त्रार्थ ज्ञान 5 अगस्त को आकर सिद्ध करें शंकराचार्य ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए शताब्दियों से आंदोलन चला आ रहा है वे खुद कई बार जेल गए हैं लेकिन शिलान्यास के लिए ये अशुभ समय क्यों चुना गया है ये समाज नहीं आ रहा है उनका यह भी कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तर्ज पर होना चाहिए उन्होंने कहा कि पहले चालुक्य नरेशों का राज वहां था 11वीं शताब्दी में इन नरेशों ने वहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया था  मंदिर एक बार बनना है इसलिए इसकी विशालता और भव्यता का ध्यान रखा जाना जरूरी है राजीव गांधी और अशोक सिंघल के रिश्ते ने अयोध्या में राम मंदिर की जमीन की राह तैयार की मंदिर का निर्माण का जिम्मा योग्य व्यक्तियों के हाथ में देना चाहिए आपको बता दे की अंकोरवाट कंबोडिया में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है जो की करीब 162.6 हेक्टेयर में फैला है इसे मूल रूप से खमेर साम्राज्य में भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था मी कांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है यह मन्दिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण भी है   |