विश्वकर्मा महासभा ने राष्ट्रगान के रचयिता को पुण्यतिथि पर किया नमन

वाराणसी |    ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने गीतांजलि के रचयिता और भारतीय साहित्य को पूरी दुनिया में ख्याति दिलाने वाले साहित्यकार कवि रविंद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर नमन करते हुए कहा की गीतांजलि के लिए उन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला था रविंद्रनाथ टैगोर की कविताएं गाने योग्य होती थी उनका संगीत ना सिर्फ बंगाल में प्रसिद्ध है बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है , रविंद्रनाथ टैगोर साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित विश्व विख्यात कवि साहित्यकार और दार्शनिक थे उन्हें गुरुदेव कहकर भी पुकारा जाता है उन्होंने पहली कविता 8 वर्ष की आयु में ही लिख दी और अपने जीवन काल में लगभग 2230 गीतों की रचना की थी 1901 में उन्होंने शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की जो आगे चलकर 1921 में विश्व भारती विश्वविद्यालय बना 1915 में अंग्रेजों ने उन्हें सर की उपाधि से अलंकृत किया जिसे उन्होंने 1919 के जलियांवाला कांड की वजह से त्याग दिया टैगोर ने ही गांधी जी को सबसे पहले महात्मा कहकर पुकारा था वह एकमात्र ऐसे कवि हैं जिन की दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनी भारत का राष्ट्रगान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार इस राष्ट्र गौरव बहुमुखी साहित्यकार का 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में निधन हो गया उनकी पुण्यतिथि पर महासभा ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की श्रद्धांजलि  व्यक्त करने वाले लोगों में प्रमुख रूप से श्रीकांत विश्वकर्मा , डॉ प्रमोद कुमार विश्वकर्मा , नंदलाल विश्वकर्मा , सुरेश विश्वकर्मा , एडवोकेट अरविंद कुमार विश्वकर्मा , एडवोकेट दीनदयाल विश्वकर्मा , कालिका विश्वकर्मा , राहुल विश्वकर्मा , रमेश विश्वकर्मा , रामकिशन विश्वकर्मा , भैरव विश्वकर्मा आदि लोग थे   |