योगी की पुलिस बनी गुंडा , पत्रकार के साथ कोतवाल की दबंगई ?
भदोही | योगी सरकार में तो देश के चौथे स्तम्भ का कोई का कोई अस्तित्व ही नही रह गया है ऐसा कहना कोई गलत नही होगा क्योकी हाल ही में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ही ए.एन.आई. के एक रिपोर्टर को क्या कह दिया था यह पुरे दुनिया के सामने है और आये दिन योगी की पुलिस द्वारा पत्रकारों का उत्पीड़न और प्रताड़ित करने का मामला प्रकाश में आता रहता है ऐसा ही एक मामला उत्तरप्रदेश स्थित भदोही का है जहां कोतवाल द्वारा दो पत्रकारों से बिना किसी कारण के गाली गलौज के साथ साथ पत्रकारों के साथ मार पीट भी की गई |
भदोही जनपद के कोतवाली भदोही में पत्रकार के प्रति पुलिस की दबंगई एक बार फिर देखने को मिली है जानकारी के मुताबिक, एक दैनिक अखबार के जिला ब्यूरो पद पर कार्य कर रहे उमेश सिंह द्वारा अपने मित्र पत्रकार के यहां रुक कर दवा लेना भारी पड़ गया , सूत्रों की माने तो अपने दफ्तर से देर रात लौट रहे उमेश सिंह ने अपने जिला क्राइम संवाददाता के घर पर पहले से ही खरीद कर रखी बुखार व खासी की दवा को लेने पहुंचे और बात करने लगे तब तक वहा पर भदोही कोतवाल सदानंद अपने हमराहीयों के साथ आ पहुंचे और पत्रकारों से पूछताछ करने लगे जब पत्रकारों ने अपना परिचय दिया कि मैं पत्रकार हूं इतने में भदोही कोतवाल पत्रकार का नाम सुनते ही आग बबूला हो गए और दबंग कोतवाल ने अपने हमराहीओं के साथ मिलकर पत्रकार को गाली – गलौज देते हुए लात- घुसो से पीटते हुए कपड़े भी फाड़ दिये , जिससे मारपीट के दौरान पत्रकार के गुप्तांग और कान पर गंभीर चोटें आई हैं , इतना ही नहीं भदोही कोतवाल सदानंद की दबंगई इतने पर भी नहीं रुकी वह पत्रकार का मोबाइल भी छीन कर उसके मोबाइल भी तोड़ दिये , जिससे पत्रकार कहीं पर संपर्क ना साध सके |
इसके बाद कोतवाली पुलिस पत्रकार को अपने वाहन में भरकर कोतवाली ले गई और वहां पर उसको घंटों बिठाई रखी और कहा कि हम तुम्हारा जीना मुश्किल कर देंगे , घटना 13 अप्रैल दिन मंगलवार ग्राम डुढवा धरम पूरी के पास का है , कोतवाल सदानंद ने तो पत्रकार को झूठे केस में फंसाने की धमकी तक दे डाली सवाल यह है कि क्या योगी सरकार में अपनी पुलिस को खुलेआम गुंडा गर्दी करने की छूट दे रखी है , जबकि इस वैश्विक महामारी में प्रत्येक चैनल व अखबार के पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर समाचार संकलन कर रहे हैं, उसके बावजूद भी योगी की पुलिस का यह कारनामा देखने को मिल रहा है ?
पत्रकारों ने मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किए जाने की मांग करते हुए कहा है कि पत्रकारों की हत्या व उनसे मारपीट की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं ऐसे में पुलिस इस प्रकार का कृत्य कर जनता से दूरी बढ़ा रही है , ज्ञात हो कि जहां दुनिया के तमाम विकसित देशों में फ्रेंडली पुलिसिंग की अवधारणा पर पुलिस चल रही है वहीं योगी सरकार की पुलिस ‘वर्दी वाला गुंडा’ के इमेज से उबरती नजर नहीं आ रही है , पुलिसकर्मियों के द्वारा कभी बस अड्डे में खड़े शिक्षक की पिटाई कर दबंगई दिखाई जाती है तो कहीं महिला से मारपीट की जाती है , जान जोखिम में डालकर नक्सली चंगुल से पुलिस कर्मियों को रिहा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मीडियाकर्मियों के साथ हिंसक व अमानवीय व्यवहार दुर्भाग्यजनक है देखना यह दिलचस्प होगा कि आखिर कोतवाल सदानंद के आलाअधिकारी व योगी सरकार इस वर्दी वाले गुंडे पर क्या कार्यवाही करती है ?