कराहते कोकण को चाहिए कपड़े की मदद

ठाणे | अतिवृष्टि के कारण पूरा कोकण बाढ़ की चपेट में आकर तबाह हो गए , लोग बेघर हो गए , दर्जनों लोगों की जान इस जल प्रलय के कारण चली गई , लोगों के लिए अब सबसे बड़ी समस्या है कि वह कहां दिन या रात बिताए , कोकण के स्थानीय नागरिकों का मानना है कि बाहर से जो मदद आ रही है उससे लोगों को भोजन तो मिल जा रहा है लेकिन अन्य समस्याओं के कारण उन्हें गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है बाढ़ के कारण तबाह हुए घरों में इस समय लोग नहीं रह रहे हैं उन्हें बाहर ही समय गुजारना पड़ रहा है उनका घर जो है बाढ़ के कारण वह गया और ऐसी स्थिति में भी खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हो रहे हैं इन बातों की जानकारी ठाणे शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर पी. जी. पवार ने देते हुए कहा है कि कोकण के महाड में तो स्थिति और भी गंभीर है बाहरी मदद आ तो रही है लेकिन जिस तरह की मदद आ रही है वह उपयुक्त नहीं है मदद आने के बाद भी यहां के विस्थापितों को आधारभूत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इस समय महाड हो या कोकण के अन्य बाढ़ प्रभावित इलाके वहां प्रभावितों को कपड़ा उपलब्ध कराना प्राथमिकता होनी चाहिए थी |

लेकिन बाहर से जो भी मदद आ रही है वह खाद्य पदार्थ आदि है सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को पहनने के कपड़े तक भी नहीं है इतना ही नहीं लोगों के पास धरती पर बिछाने के लिए चादर ही नहीं है इसके साथ ही रात में वह कहां बैठे हैं या दिन में वह कहां बैठे ,  ऊपर छांव तक नसीब नहीं है बाढ़ प्रभावितों के लिए कपड़े यहां आवश्यक है डॉक्टर पी.जी. पवार ने आपबीती बताते हुए कहा कि उनकी सगी बहन महाड में ही रहती थी लेकिन सगी बहन के परिवार के 6 सदस्य आई भीषण बाढ़ में बह कर मर गए , दो की तो लाशें मिली लेकिन बाकी चार की लाशें नहीं मिल पाई है पवार ने बताया कि इस समय महाड  में सबसे अधिक जरूरत कपड़ों की की है कपड़े चाहे बिछाने वाले हो या पहननेवाले हो , उसकी यहां जरूरत है शेड बनाने वाले कपड़ों की यहां आवश्यकता है लेकिन बाहर से कपड़ों की कोई मदद नहीं मिल रही है लोग भोजन तो कर ले रहे हैं लेकिन कहीं आराम करने की जगह भी उन्हें नसीब नहीं हो रही है |

बता दे कि स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्हें सर्वप्रथम कपड़े चादर आदि चाहिए लेकिन अभी तक वैसा हो नहीं पा रहा है डॉक्टर पवार का कहना है कि इस समय अब भी दर्जनों लाशों को निकाला जाना बाकी है और बाढ़ के बाद यहां दुर्गंध का वातावरण है ऐसी स्थिति में कोकण के साथ ही महाड में भी गंभीर समस्या पैदा होगी , कई तरह के रोगों के फैलने की संभावना है इस स्थिति में रोग रोधी उपाय योजना शुरू करने की जरूरत है लेकिन वैसा नहीं हो पा रहा है दुख की बात है कि लोग खाद्य सामग्री तो मदद के तौर पर ला रहे हैं लेकिन चिकित्सा सामग्री उन्हें मदद के तौर पर नहीं मिल रही है जिस कारण वे चिंता में रहते हैं महाड की स्थिति का जिक्र करते हुए पवार ने बताया कि आने वाले दिनों में लोग यहां कई तरह की बीमारियों का शिकार होंगे , उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि जो भी मदद मिल रही है वह समस्याओं के समाधान में सहायक साबित नहीं हो रहा है महाड में बाढ़ से विस्थापित हुए लोगों को इस समय सबसे अधिक आवश्यकता कपड़ों और जीवन रक्षक दवाओं की है अभी तक इसको लेकर सेवाभावी संस्थाएं या सरकार किसी भी तरह का पहल नहीं कर रही है जिस कारण आने वाले दिनों में लोगों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर समस्या पैदा होगी , कई तरह के रोगों की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है विषम परिस्थितियों का जिक्र करते हुए डॉ. पवार ने महाराष्ट्र के सेवाभावी लोगों से आग्रह किया है कि वे बाढ़ पीड़ितों की मदद के तौर पर कपड़े और दवाएं लाएं ताकि लोगों का शरीर ढका जा सके और दवाएं उपलब्ध होने के कारण उन्हें विभिन्न तरह के रोगों से बचाया जा सके |

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