कालसर्प दोष के लिए सर्वोत्तम है नागपंचमी

ठाणे |   ज्योतिषाचार्य अतुल शास्त्री ने बताया कि हर वर्ष सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा करते हुए नागपंचमी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है इस वर्ष यह त्यौहार 25 जुलाई को पूरे भारत में मनाया जा रहा है ऐसी मान्यता है कि सर्प माँ लक्ष्मी की रक्षा करते हैं अर्थात धन की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और गुप्त, छुपे और गड़े धन की रक्षा करते हैं यही वजह है कि धन – संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और साधक को धनलक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है साथ ही प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे नागपंचमी के दिन भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करनी ही चाहिए नागपंचमी के दिन कई जातक, जो कालसर्प दोष से बाधित हैं वो अपनी कालसर्प दोष शांति करवाते हैं लेकिन ज्योतिष जगत में इस वर्ष 25 जुलाई को मनाई जा रही नागपंचमी की पूजा का खास महत्व है क्योंकि इस दिन कालसर्प दोष की पूजा के लिए ख़ास मुहूर्त निकल रहा है धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे नागपंचमी के दिन भगवान शिव और नागदेवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध चढ़ाकर पूजा करें साथ ही घर के दरवाजे पर दूध भी रखें और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर के आगे दूध रखने से नाग दूध पी लेते है इससे नाग देवता प्रसन्न होते हैं  |

नागपंचमी की विस्तृत जानकारी देते हुए शास्त्री ने यह भी कहा की देश के अलग – अलग जगहों पर नागपंचमी की पूजा अगल तरीके से की जाती है उत्तरी भारत में लोग सुबह उठकर घर के आगे या पूजा स्थान पर गोबर से नाग बनाते हैं और उनकी दूध, दूब, कुश, चंदन, अक्षत, फूल आदि से पूजा करते हैं केरल में शेषनाग की पूजा होती है वहीं पश्चिम बंगाल, असम और ओड़िसा में इस दिन नागों की देवी मां मनसा की पूजा की जाती है कुछ जातक इस दिन माँ सरस्वती की पूजा भी करते हैं दरअसल यह मान्यता है कि सर्पों में बौद्धिक बल होता है इसलिए इस दिन सर्पों के साथ माँ सरस्वती की भी पूजा की जाती है घर की सुख – समृद्धि में वृद्धि के लिए भी इस दिन व्रत रखा जाता है इससे सर्पदंश का भय दूर होता है नागपंचमी मनाने के पीछे कई कहानियाँ प्रचलित हैं परन्तु इनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध एवं रोचक कथा समुद्र मंथन के दौरान की है ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे पीने के लिए कोई तैयार नहीं था अंतत: भगवान शंकर ने उसे पी लिया शिव जब विष पी रहे थे, तभी उनके मुख से विष की कुछ बूँदें नीचे गिरी और और सर्प के मुख में समा गई इसके बाद से ही सर्प जाति विषैली हो गई यही वजह है कि सर्पदंश से बचने – बचाने के लिए ही इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है समुद्र मंथन के अलावा नागपंचमी को लेकर एक कहानी यह भी प्रचलित है कि भगवान कृष्ण ने उन्हें यह वरदान दिया था कि जो भी जातक नाग देवता को दूध पिलाएगा, उसे जीवन में कभी कष्ट नहीं होगा एक बार कालिया नाग ने प्रतिशोध के वशीभूत होकर पूरी यमुना नदी में विष घोल दिया इसके बाद यमुना नदी का पानी पीने से बृजवासी बेहोश होने लगे ऐसे में भगवान कृष्ण ने यमुना नदी के अंदर बैठ गए और कालिया को बाहर निकालकर उससे युद्ध किया युद्ध में कालिया हार गया और यमुना नदी से उसने अपना सारा विष सोख लिया भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर कालिया को वरदान दिया और कहा कि सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा और सर्पों की पूजा की जाएगी  |