दुनिया की सबसे बड़ी प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल महाराष्ट्र में शुरू 

मुंबई  |  महाराष्ट्र में आज से दुनिया की सबसे बड़ी प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल शुरू हुआ है राज्य सरकार ने इसे ‘प्रोजेक्ट प्लेटिना‘ का नाम दिया है आज एक साथ 500 मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी की दो डोज दी गईं माना जा रहा है कि रिजल्ट उम्मीद जगाने वाले मिलते हैं तो इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा इसके लिए राज्य सरकार ने 75 करोड़ का अतिरिक्त बजट तय किया है मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से बताया गया है कि इस थैरेपी पूरा खर्च सरकार उठाएगी महाराष्ट्र में इस समय डेढ़ लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं , इस प्लाज्मा थैरेपी का उद्देश्य मृत्यु दर को कम करना है सरकार की ओर से ट्रायल के आधार पर दावा किया जा रहा है कि 10 में से 9 मरीज प्लाज्मा थैरेपी से ठीक हो रहे हैं सरकार का दावा है कि मुंबई के लीलावती अस्पताल में पहली प्लाज्मा थैरेपी सफल रही थी उसके बाद मुंबई में ही बीवाईएल नायर अस्पताल में एक अन्य मरीज पर दूसरा प्रयोग किया गया । 
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट कर जानकारी दी गई…

इससे पहले रविवार को मुख्यमंत्री ठाकरे ने देश की सबसे बड़ी प्लाज्मा थैरेपी ट्रायल की जानकारी दी थी उन्होंने लोगों से आगे आकर प्लाज्मा दान करने की अपील भी की थी इसके बाद पुलिस डिपार्टमेंट से ठीक हुए कई सौ लोगों ने प्लाज्मा दान किया , राज्य में रविवार को कोरोना के एक दिन में रिकॉर्ड 5,493 नए मामले सामने आए थे संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 1,64,626 हो गई है , राज्य में जान गंवाने वालों का आंकड़ा 7,429 हो गया है अभी 70,607 मरीजों का इलाज चल रहा है इन मरीजों में जो गंभीर हैं, उन्हीं पर यह थैरेपी की जाएगी  , ऐसे मरीज जो हाल ही में कोरोना से ठीक हुए हैं, उनके शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज बनाता है जो ताउम्र रहते हैं ये एंटीबॉडीज ब्लड प्लाज्मा में मौजूद रहते हैं इसे दवा में तब्दील करने के लिए ब्लड से प्लाज्मा को अलग किया जाता है और बाद में इनसे एंटीबॉडीज निकाली जाती हैं ये एंटीबॉडीज नए मरीज के शरीर में इंजेक्ट की जाती हैं, इसे प्लाज्मा डेराइव्ड थैरेपी कहते हैं यह मरीज के शरीर को तब तक रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है जब तक उसका शरीर खुद ये तैयार करने के लायक न बन जाए ।

एंटीबॉडी प्रोटीन से बनी खास तरह की इम्यून कोशिशकाएं होती हैं जिसे बी-लिम्फोसाइट कहते हैं जब भी शरीर में कोई बाहरी चीज (फॉरेन बॉडीज) पहुंचती हैं तो ये अलर्ट हो जाती हैं बैक्टीरिया या वायरस द्वारा रिलीज किए गए विषैले पदार्थों को निष्क्रिय करने का काम यही एंटीबॉडीज करती हैं इस तरह ये रोगाणुओं के असर को बेअसर करती हैं जैसे कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में खास तरह की एंटीबॉडीज बन चुकी है, जब इसे ब्लड से निकालकर दूसरे संक्रमित मरीज में इजेक्ट किया जाएगा तो वह भी कोरोनावायरस को हरा सकेगा  ।