दूर रहिए समाज तोडू से या दूर हटाइए- हरिकेश शर्मा नंदवंशी

एक व्यक्ति ने मुझे कहा, “पचास के नजदीक आ रहा हूँ , अब समझ में आ रहा है कि जीवन में कितनी गलतियां की हैं , नहीं, अब नहीं करना चाहता , अब मैं सुधरना चाहता हूँ , समाज के लिए कुछ अच्छा कर सकूं, ऐसा सोचता हूँ , अब कोई कुछ भी कह दे, सब सहन करूंगा परंतु अब समाज के लिए कुछ अच्छा करना है।”
ये पंक्तियां कोई भी पढेगा या सुनेगा तो उसे लगेगा कि कितना अच्छा व्यक्ति है, प्रायश्चित करना चाहता है परंतु जो उसे जानते हैं वे मुस्कुराते हैं, उसके कथन पर उसके सामने ही हंसते हैं और कहते हैं कि मजाक भी कितनी अच्छी कर लेते हो , वह खुद भी अपनी बातों पर हंसता है , उसे मालूम है कि उसने जो कुछ भी कहा है, वह बस टाइम पास(समय व्यतीत)करने के लिए कहा है ,  ऐसी बातें वह पहले भी बहुत कर चुका है ।

वह लोगों के सामने कुछ और बोलता है,(कथनी और करनी में फर्क) बाद में फोन कर कर के कुछ और ही बोलता है , परस्पर भड़काता है उसका स्वभाव ही ऐसा है कि समाज में कुछ अच्छा काम न हो , समाज के लिए जो सकारात्मक सोचते हैं, स्पष्ट सोच रखते हैं उनसे समाज के नए लोगों को किसी न किसी बहाने से मिलने न दिया जाए, ऐसे तिकड़म लगाता है , उसे डर है कि अगर सब सही सोच के लोग आपस में मिल गए तो उसको कौन पूछेगा? केवल अपनी पूछ बनाए रखने के लिए वह लोगों को एकजुट नहीं होने देता  ।

वह चुटकुलेबाजी करता है, गंदी गालियां निकालता है, जोर जोर से चिल्लाकर झगड़ा करने को तत्पर रहता है , भले लोग इस बीमारी से दूर रहना चाहते हैं परंतु झगड़ना भी नहीं चाहते  धीरे धीरे एक एक कर छिटक जाते हैं छिटक रहे हैं ,  जब उसे लगता है कि उसका तंबू उखड़ रहा है तो वह हृदय परिवर्तन की बात करता है ऐसा कोई परिवर्तन रातोंरात नहीं होता ,यह बस एक उदाहरण है ।

ऐसे इक्का दुक्का लोग हर समुदाय में होते हैं , हर सामाजिक संगठन में होते हैं , छोटे छोटे संगठनों में जरूर होते हैं  वहां गंदी राजनीति आसान होती है , जहां इनकी संख्या बढ जाती है वहां समाज प्रगति नहीं कर पाता है , जो इनको घास नहीं डालते, वे आगे बढ जाते हैं , सबको अपने अपने संगठन को जगाने का काम करना चाहिए , लोगों को बताएं… ऐसे लोगों को पहचानिए, इनकी बातों में मत आइए  ।

अपने स्वयं के विवेक का इस्तेमाल कीजिए , अपना और समाज का भला बुरा खुद समझिए , ऐसे लोगों को दरकिनार करते हुए सभी संगठनों और समाज के प्रत्येक व्यक्ति को एक मंच एक अध्यक्ष के लिए समाज हित में कार्य करना चाहिए ।
सैन हरिकेश शर्मा नन्दवंशी