धर्म प्रधान देश में अपराधीकरण बढ़ना बड़ा कलंक है – डॉ. अरूण विजय

ठाणे |   जैन मुनि डॉ. अरुण विजय ने कहा कि पूरी दुनिया में भारत जितने धर्म तथा भगवान अन्यत्र कहीं भी नहीं है , भारत में दुनिया भर के सब धर्म विद्यमान है , धर्म इंसान को धार्मिक बनाता है लेकिन सबसे बड़ा दुख तब होता है कि जब धर्म क्रिया कांड , पूजा पद्धति , दर्शन , क्रिया , विधि , व्रत , नियम तक ही सिमित रहता है और वह नियम तक ही सीमित क्यों रह जाता है ? इंसान के जीवन में धर्म उतरना चाहिए , धर्म आने पर अपराध पाप हिंसा झूठ चोरी आदि की प्रवृत्ति सर्वथा खत्म हो जानी चाहिए लेकिन ऐसा क्यों नहीं होता है ? प्रामाणिकता इमानदारी सज्जनता सुशीलता सभ्यता शांति निर्व्यसनता वैश्विक प्रेम , भाईचारा इत्यादि कई गुणों का जीवन में विकास होना ही चाहिए, ऐसा क्यों नहीं देखा जा रहा है?

दिन में दर्शन पूजा करके बड़े तिलक करके मानव , समाज में बाहर निकलता है तब उसके बड़े तिलक से लोग उस पर विश्वास रख कर उसे अच्छा सज्जन धर्मिष्ठ मान लेते हैं , उनका सामाजिक सम्मान करते हैं लेकिन बाहर की दुनिया में वह बहुत बड़े अपराधीकरण में लिप्त दिखाई देते हैं आखिर ऐसा क्यों ? भारत जैसे देश में इतने धर्म क्षेत्र हैं , इतने तीर्थ क्षेत्र हैं , हजारों की तादाद में साधु – संत है , तीर्थ क्षेत्र हजारों की संख्या में है , ग्रंथ भी कई विद्यमान है , इतना सब कुछ होने के बावजूद भी भारत जैसे देश में अपराधियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है , अपराधी भी छोटे बड़े नहीं , सीधे ही हिस्ट्रीशीटर खूनी हत्यारे अनेकों को मारने वाले अरबों खरबों की धन संपत्ति के मालिक ऐसे बड़े बड़े अपराधी जो कि कुख्यात गुंडे बन जाते हैं यहां तक कि ऐसे अपराधियों को नेता लोगों के साथ सांठगांठ बहुत ज्यादा होती है चुनावों के समय चुनाव जीतने का पूरा मदार ऐसे अपराधियों के हाथ में ही होता है वही चुनाव जीताते या हराते हैं इसलिए नेताओं को ऐसे कई कुत्ते पालकर रखने होते हैं इसलिए शंका यह बनती है कि क्यू घट सकता है अन्य विकल्प नहीं है |