निर्धारित मानकों की धज्जियां उड़ा रहे हैं बिना पार्किंग वाले मैरेज हाल

मैरेज हाल के सामने जाम में अक्सर फंसते है आम लोग और एम्बुलेंस से अस्पताल जा रहे मरीज़

न्यू वेलकम, अम्बिका, सिटी, लकी, महफ़िल और आइडियल मैरेज हॉल बिना पार्किंग के हो रहे संचालित

गोरखपुर ।   एक समय था जब शहर में मैरिज हाल या बारात घर की तादाद सीमित थी , जैसे जैसे शहर की आबादी बढ़ी वैसे वैसे बढ़ती आबादी के साथ मैरेज हाउसों की संख्या में भी बेतहाशा वृद्धि हुई , आज स्थिति यह है कि लगभग हर बड़ी आबादी में दो से तीन मैरेज हाल मौजूद हैं, कहीं-कहीं तो इनकी तादाद आधा दर्जन के लगभग है , एक छोटे उत्सव से शादी अथवा अन्य आयोजन के लिए 15 हज़ार से लेकर लाखों रुपया किराए वसूलने वाले हॉल मौजूद हैं   ।

जरूरत से अधिक किराया लेने वाले अधिकांश मैरेज हॉल के पास तो पार्किंग भी नही है , इसके अलावा बिना पार्किंग वाले ये हॉल सरकार द्वारा निर्धारित मानकों की खुलकर धज्जियां उड़ा रहे हैं , लगन के दिनों में यहां से कई कुंतल कूड़ा रोज़ निकलता है जिसका निस्तारण नगर निगम द्वारा किया जाता है , जिससे नगर निगम पर अतिरिक्त बोझ तो पड़ता ही है साथ ही यहां प्रयोग होने वाले गिलास पत्तल और अन्य अनेकों प्रकार के कूड़े से नाले नालियां भी चोक हो जा रही हैं   ।

इन मैरेज हालों के पास से गुज़रने वाले नाले प्लास्टिक गिलासों, पत्तलों और अन्य पालीथिन से बनी चीजों से पटे नज़र आते हैं सबसे खराब स्थिति कोतवाली, राजघाट और तिवारीपुर थाना इलाके में स्थित न्यू वेलकम अंबिका आइडियल सिटी लकी महफिल और तमाम अन्य मैरेज हालों की है , यहां स्थित बिना पार्किंग वाले हॉल के सामने से लगन के दिनों में गुजरना किसी चैलेंज से कम नही होता , तमाम शिकायतों के बाद भी ऐसे मैरेज हालों पर प्रशासन का चाबुक नही चल पाता जबकि पल भर में ठेले और पटरी व्यवसाइयों को उजाड़ देने का हुनर रखने वाले नगर निगम के अधिकारी और स्थानीय थाना यहां बेबस नज़र आता है   ।

इन बिना पार्किंग वाले मैरेज हालों के सामने लगे जाम का शिकार अक्सर मरीजों को ले जाने वाली एम्बुलेंस होती है जिनमें मौजूद मरीज़ के लिये एक एक पल कीमती होता है लेकिन इसका कोई असर इन मैरेज हाल के मालिकों पर नही पड़ता और जब कोई इनसे नियम कानून की बात करता है तो मैरेज हाल के मालिक और वहां तैनात कर्मचारियोंं के अतिरिक्त प्राइवेट सुरक्षा गार्ड हमलावर मुद्रा मेंं आ जाते हैं  ।

ऐसे मैरेज हॉल के पास न तो प्रदूषण विभाग की एनओसी है न अग्निशमन विभाग की एनओसी है और न ही जीडीए द्वारा इनका मानचित्र ही स्वीकृत है लेकिन ताज्जुब है कि बिजली विभाग की मिलीभगत से बिजली चोरी और बकाया बिजली के बिल के बावजूद ऐसे मैरिज हॉल सालों से बिना किसी रूकावट के चल रहे हैं , सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे तमाम मैरिज हाल अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा स्थानीय थाना अग्निशमन नगर निगम जीडीए और बिजली विभाग समेत प्रशासन में सराय एक्ट के अंतर्गत मैरिज हाउस लाज और होटल की व्यवस्था देखने वाले सरकारी कार्यालय तक पहुंचाया जाता है  ।