भारत को चीनी बैंक से 4.5 अरब डॉलर का कर्ज मिला

नई दिल्ली |    सीमा पर चीन से बढ़ते तनाव के बीच भारत को चीनी समर्थित बैंक एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (ए.आई.आई.बी.) से अब तक करीब 4.5 अरब डॉलर का कर्ज मिला है आपको बता दे की भारत बीजिंग स्थित इस बैंक से कोरोना राहत कोष लेने में शीर्ष लाभार्थी भी है। ए.आई.आई.बी. की पांचवीं परिषद का वार्षिक सम्मेलन के उदघाटन के अवसर पर मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने सदस्य देशों के लिए कोरोना राहत कोष स्थापित करने को लेकर बैंक की तारीफ की थी इस दौरान उन्होंने कहा कि ए.आई.आई.बी. को वैश्विक समान विकास को मजबूत करने वाला एक नया बहुपक्षीय विकास बैंक बनाना चाहिए गौरतलब की बात है कि यह बैंक खोलने का प्रस्ताव जिनिपंग ने 2013 में रखा था और 2016 में यह बैंक खुला था सबसे बड़े कर्जदार के रूप में भारत पर ए.आई.आई.बी. ऋणों का लगभग 25 प्रतिशत बोझ है ए.आई.आई.बी. से भारत को कोरोना राहत के लिए जून और जुलाई में क्रमश: 500 मिलियन डॉलर और 750 मिलियन डॉलर का कर्ज मिला है दूसरे दौर की लोन की स्वीकृति 17 जून को मिली थी आपको बता दे की भारतीय और चीनी सीमा सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) पर घातक गलवान घाटी में संघर्ष के दो दिन बाद ही यह राशि चीन से मिली थी और आपको यह भी बतादे की भारत के साथ इंडोनेशिया और फिलीपींस को भी 750 मिलियन डॉलर की सहायता राशि बैंक की ओर से दी गई है पाकिस्तान और बांग्लादेश को क्रमश: 500 मिलियन डॉलर और 250 मिलियन डॉलर की राशि दी गई है , भारत को ए.आई.आई.बी. से अब तक मिले 4.5 अरब डॉलर के फंड के अलावा कई बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए भी कर्ज मिलने वाला है और आपको यह भी बता दे की दिल्ली – मेरठ रीजनल रैपिड रेल परियोजना के लिए करीब 500 मिलियन डॉलर और मुंबई मेट्रो लाइन – 5 के लिए करीब 350 मिलियन डॉलर और चेन्नई मेट्रो कॉरिडोर – 4 के लिए 350 मिलियन की भारी – भरकम राशि मिलने वाली है इन तीनों परियोजनाओं के लिए छह से नौ महीने में बैंक से राशि मिलने की संभावना है बीजिंग विश्वविद्यालय के लांग जिंगचुन ने कहा की चीन भारत के साथ सीमा पर के तनाव को आर्थिक क्षेत्र में विस्तार नहीं करना चाहता है   |