राष्ट्रीय नव साहित्य कुंभ पटल पर डाॅ• शीतला प्रसाद दूबे

मुंबई  |  राष्ट्रीय नव साहित्य कुंभ के पटल पर 10 वें व्याख्यान की श्रृंखला में मंगलवार 17 नवम्बर 2020 को “साहित्य में साहित्यिक संस्थाओं की भूमिका एवं योगदान” विषय पर मुंबई के शसक्त हस्ताक्षर, वरिष्ठ साहित्यकार,महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डाॅक्टर शीतला प्रसाद दुबे उपस्थित हुए , व्याख्यान का शुभारंभ डाॅ दूबे के स्वागत के साथ संस्था अध्यक्ष अनिल कुमार राही ने अपने मुक्तक से आह्वान किया तथा राही ने दूबे के व्यक्तित्व,कृतित्व पर संक्षिप्त परिचय देकर,संचालक संजय द्विवेदी को वार्ता की बागडोर संभालने की जिम्मेदारी सौंपी , संचालक के रूप में वार्ता करते हुए संस्था के राष्ट्रीय संयोजक,साहित्यकार संजय द्विवेदी ने आज की परिस्थितियों पर विशेष रूप से परिचर्चा का विषय बनाया ।

डॉ शीतला प्रसाद दूबे कांदिवली मुम्बई में रहते हुए, मुंबई ही नहीं संपूर्ण महाराष्ट्र के साहित्यिक गतिविधियों में सहभागी होते हैं और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन भी बखूबी करते हैं , आप वर्तमान में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य एकाडमी के कार्याध्यक्ष भी हैं आचार्य अध्यक्ष एवं शोध निर्देशक स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के•सी• कालेज मुम्बई के रहे , आपकी प्रकाशित पुस्तकें जयशंकर प्रसाद का गीतकाव्य,छायावादी काव्य मध्यकालीन वैभव काव्य, आदिवासी विमर्श और हिंदी साहित्य और बहुत सी पुस्तकें जिनका उल्लेख नहीं किया जा सकता , आपको अनेकों पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं,हिंदी सेवी सम्मान,साहित्य शिरोमणि सम्मान,आनन्द ननददुलारे बाजपेयी पुरस्कार,विशिष्ट शिक्षक सम्मान आदि बहुत से अनगिनत सम्मान प्राप्त हैं , डाॅ दूबे साहित्यिक मंचों व साहित्यकारों के संबंधों को परिभाषित करते हुए कहा कि आज से दसकों पूर्व मंचों का गठन साहित्य को मजबूती प्रदान करने और साहित्यकार की एकता,विधाओं पर परिचर्चा, सामाजिक उद्देश्य पूर्ति हेतु मार्गदर्शन,चिंतन,युवा संदेश,राष्ट्र-प्रेम आदि बनाये रखने के उद्देश्य से किया जाता था,किन्तु आज ऐसा नहीं है ।

आज मंचों का गठन सिर्फ चाटुकारिता, लोलुपता,छपास,व्यक्तिगत वर्चस्व, सम्मान पाने जैसी भयंकर महामारी हेतु किया जा रहा है तथा मंचों पर हास्य कविताओं की जगह फुहडता परोसी जा रही है , यह सिर्फ धन उगाही हेतु हो रहा है साहित्य की अस्मिता को गर्त में ढकेल दिया गया है और नवांकुर साहित्यकारों से पद की लालच,पत्रिकाओं में प्रकाशन, काव्य संग्रह में स्थान आदि किसी न किसी बहाने पैसा उगाही का धंधा चल रहा हैं , यह साहित्य के क्षेत्र में शर्मनाक कदम है ऐसा नहीं होना चाहिए , सभी साहित्यिक मंचो का एक उद्देश्य हो,साहित्य की विविध विधाओं पर विद्वान नवांकुर साहित्यकारों को लेकर कार्य करे,प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करे,जिससे भारतीय साहित्य में एक निखार आयेगी और बाहरी देशों में एक पहचान बनेगी , यह व्याख्यान राष्ट्रीय नव साहित्य कुंभ” के संस्थापक रामस्वरूप प्रीतम(श्रावस्ती), अध्यक्ष अनिल कुमार राही (मुंबई),संयोजक संजय द्विवेदी(कल्याण- महाराष्ट्र), सचिव धीरेन्द्र वर्मा धीर(लखीमपुर खीरी),संरक्षक दिवाकर चंद्र त्रिपाठी “रसिक” (छत्तीसगढ़) एवं मीडिया प्रभारी विनय शर्मा “दीप” (ठाणे-महाराष्ट्र),उपाध्यक्ष सत्यदेव विजय (मुंबई),उप-सचिव बबिता पांडे,कोषाध्यक्ष प्रमिला किरण के सहयोग से संपन्न हुआ संगोष्ठी उपरांत उपस्थित डाॅक्टर दूबे का सम्मान संस्था द्वारा सम्मान-पत्र देकर किया गया ।