लोहार समाज को मिलने वाले आरक्षण के मुद्दे पर सरकार का रवैया उपेक्षापूर्ण – अशोक विश्वकर्मा

वाराणसी ।  ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने एक विज्ञप्ति में बताया है कि बिहार राज्य में लोहार समाज के लोग अनुसूचित जाति के श्रेणी में आरक्षित हैं इस संबंध में भारत सरकार द्वारा राजाज्ञा भी जारी है किंतु राजाज्ञा में शाब्दिक त्रुटिवश अंग्रेजी एवं हिंदी देवनागरी लिपि में लोहार को लोहारा दर्ज किया गया है जिसके चलते आरक्षण का लाभ मिलने में विवाद उत्पन्न हो गया समाज के प्रतिनिधित्व वाले संगठन लोहार विकास मंच के अध्यक्ष राजकिशोर विश्वकर्मा के नेतृत्व में त्रुटिगत संशोधन के लिए भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय के संज्ञान में विषय को लाने के लिए लंबे संघर्ष के बाद सरकार ने एक्ट 23/2016 के अंतर्गत लोहारा शब्द को निरस्त और संशोधित कर दिया गया जिससे लोहारा शब्द मृतप्राय होकर लोहार शब्द प्रचलित मान्य होने का आदेश पारित हुआ इस संबंध में महामहिम राष्ट्रपति की ओर से गजट भी जारी हो चुका है ।

जो पूर्ण रूप से एक्ट 23 /2016 को कानूनी मान्यता प्राप्त है जिसे कोई भी प्रशासनिक अधिकारी अपने पत्र से चुनौती नहीं दे सकता है तत्संबंध में भारत सरकार की ओर से विधिनुसार 3 दिनों के अंदर नोटिफिकेशन जारी हो जाना चाहिए था जो प्रशासनिक उपेक्षा और भेदभाव के चलते 4 साल व्यतीत हो जाने के बावजूद भी आज तक जारी नहीं हो सका जो सरकार के कार्यशैली और मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है जबकि बिहार में बीजेपी और नीतीश कुमार की सरकार है जो बिहार राज्य में लोहार समाज को अनुसूचित जन जाति के आरक्षण का लाभ दे रही है लेकिन भारत सरकार की ओर से विभागीय अधिसूचना जारी नहीं होने के कारण अन्य राज्यों सहित केंद्र में इस समाज के लोग अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ पाने से वंचित है जिसके चलते उच्च शिक्षा में प्रवेश को इच्छुक छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है उन्होंने कहा कि लोकसभा में भी प्रकरण कई बार उठ चुका है तथा समाज के लोग लंबे समय से आंदोलनरत हैं इसके बावजूद सरकार की उपेक्षा पूर्ण खामोशी राज्य के चुनाव में बड़े परिवर्तन का कारण बन सकती है ।