शादी के बाहर संबंध अब अपराध नहीं, पढ़ें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 खास बातें

सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री (व्यभिचार) संबंधी कानून की धारा 497 को खारिज कर दिया। एडल्ट्री कानून के दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता के मामले पर गुरुवार को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान की खूबसूरती यही है कि उसमें ” मैं, मेरा और तुम सभी शामिल हैं। महिलाओं के साथ असमान व्यवहार करने वाला कोई भी प्रावधान संवैधानिक नहीं है। ऐसे में एडल्ट्री कानून पूरी तरह असंवैधानिक है। यहां पढ़ें फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा कही 10 खास बातें –

1. हम विवाह के खिलाफ अपराध के मामले में दंड का प्रावधान करने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 497 और सीआरपीसी की धारा 198 को असंवैधानिक घोषित करते हैं।

2. सीजेआई ने कहा कि अब यह कहने का समय आ गया है कि पति महिला का मालिक नहीं होता है।

3. सीजेआई ने कहा- व्यभिचार आपराधिक कृत्य नहीं होना चाहिए।

4. सीजेआई ने कहा- चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में व्यभिचार अपराध नहीं है।

5. एडल्ट्री (व्याभिचार) अपराध नहीं हो सकता। एडल्ट्री कानून असंवैधानिक है।

6. उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया।

7. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अडल्टरी अपराध नहीं होगा। लेकिन अगर पत्नी अपने जीवन इतिहास के व्यभिचार के कारण खुदकुशी करती है तो सबूत पेश करने के बाद इसमें खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला चल सकता है।

8. महिला की गरिमा सबसे ऊपर है।

9. धारा 497 पुरुष को मनमानी का अधिकार देने वाली है।

10. प्रधान न्यायाधीश ने कहा- समानता संविधान का शासी मानदंड है।

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