सपा सरकार में ही होगा पिछड़े वर्गों का भला : पूर्व मंत्री रामआसरे विश्वकर्मा 

उत्तरप्रदेश  | एक तरफ कोरोना का कहर पूरा देश झेल रहा है तो वही मोदी सरकार हर आयोगों में कुछ ना कुछ बदलाव कर रही है अब मोदी सरकार के बदलाव के कारण पिछड़े वर्गों में बड़ी तकलीफो का सामना करना पडेगा क्यों कि मोदी सरकार ने लोकसभा की एक कमेटी के रिपोर्ट के माध्यम से पिछडे वर्गो के आरक्षण में क्रीमीलेयर का दायरा बडा करने और उनमें कर्मचारियों के वेतन व कृषि की आय इत्यादि को सम्मिलित करके इतना बढाने की तैयारी कर रही है कि पिछडे वर्ग का पढा लिखा ब्यक्ति अब आरक्षण की सुविधा पाने से बंचित हो जाये , पहले क्रीमीलेयर की आयसीमा 8 लाख रूपये करने के साथ साथ 6 मापदंड निर्धारित किये थे जिससे क्लास दो या तीन या चार के अधिकारी कर्मचारी के कुछ बच्चे आरक्षण की सुविधा पा जाते थे , लेकिन कमेटी के इस बदलाव से तो अब अधिकारी या कर्मचारी के कोई बच्चे सुविधा नहीं प्राप्त कर सकेगे जिस पिछडा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और उसके माध्यम से पिछडो का भला करने का मोदी सरकार ने इतना जोर शोर प्रचार किया था अब वही आयोग से काम न लेकर सरकार कमेटी बनाकर मनमुताबिक रिपोर्ट तैयार कराके काम कर रही है ।

उत्तरप्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री रामआसरे विश्वकर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में तो भाजपा सरकार के चार वर्ष होने जा रहे है अभी तक सरकार ने राज्य पिछडा वर्ग आयोग का पूर्णकालिक अध्यक्ष ही नही बनाया आयोग के द्वारा पिछडे वर्गो के आरक्षण उत्पीडन अत्याचार हत्या बलात्कार के मामलो की न तो सुनवाई हो पा रही है और न पिछडे वर्गो को न्याय मिल पा रहा है भाजपा सरकार ने पिछडे वर्गो के आरक्षण के रोस्टर में जो बदलाव किये थे उसका नतीजा अब सामने आ रहा है देश के 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में अब ओबीसी का एक भी प्रोफेसर नहीं है , और इस ब्यवस्था से अब भविष्य में केन्द्रीय विश्वविद्यालय से लेकर राज्य के विश्वविद्यालयों में पिछडे वर्ग का एक भी प्रोफेसर नहीं बन पायेगा , हलाँकि  मुलायम सिंह यादव  की सरकार ने पिछडे वर्ग के योग्य और मेरिटोरियस छात्रों को आरक्षण की सुविधा पाने के लिये ओवरलैपिंग की ब्यवस्था की थी जिससे मेरिटोरियस छात्र को सामान्य श्रेणी में चयन होने का मौका मिल जाता था और पिछडे वर्ग का योग्य और मेरिटोरियस छात्र आरक्षण से बंचित नही हो पाता था भाजपा सरकार ने उसे अब तकनीकी कारण बताकर ओवरलैपिग की ब्यवस्था को समाप्त कर दिया जिससे पिछडे वर्गो के मेरिटोरियस छात्र अब आरक्षण से बंचित हो गये जिससे नौकरियों और परीक्षाओं में पिछडे वर्ग की मेरिट अब सामान्य से ऊंची जाने लगी , पिछडे वर्गो मे असन्तोष ब्याप्त हो गया ।

शिक्षण संस्थाओं और अन्य सरकारी विभागों मे पिछडे वर्गो के आरक्षण के रोस्टर प्रणाली को मेन संस्था से घटाकर विभाग व युनिट स्तर पर ला कर कर दिया , विज्ञापन में अब पदो की संख्या दो तीन विज्ञापित होने से उनमें न तो आरक्षण लागू हो पा रहा है और न पिछडे वर्ग के लोग चयन हो पा रहे है एक तरह से पिछडे वर्ग का आरक्षण समाप्त करने का आदेश जारी किये बिना ही अपने आप आरक्षण या तो नाममात्र का हो गया या तो कही पर पूरा समाप्त हो गया , अब सरकारी विज्ञापनों में पिछडे वर्गो के आरक्षण के कालम में संख्या में शून्य लिख कर आ रहा है अब पिछडे वर्ग के लोग सब कुछ जानकर भी विवश है और भाजपा की इस साजिश का विरोध भी नहीं कर पा रहे है उन्हें अब भाजपा की सरकार से निराशा और सरकार बनाने का पछतावा हो रहा है अब तो पिछडे वर्गो को अखिलेश यादव  व  मुलायम सिंह यादव  की सरकार याद आ रही है और उसी के बनने का इन्तजार कर रहे है तभी उनका आरक्षण बच पायेगा और उनके बच्चों का भला हो पायेगा ।