सही समय पर सही फैसला लेना भी बहुत बड़ी शक्ति है-डॉ. अरूण विजय

ठाणे ।  जैन मुनि डॉ. अरुण विजय ने कहा कि सही समय पर उचित फैसला लेना चाहिए , उन्होंने बताया कि शारीरिक शक्ति वाले तो दुनिया में लाखों लोग देखे होंगे , जिम में, व्यायाम शाला में जाकर कसरत आदि करके लोग शारीरिक शक्ति बहुत जल्दी बना लेते हैं, लेकिन ऐसी शारीरिक शक्ति स्वयं के उपयोग में या अन्य के लाभ में कितनी आती हैं ?

और ऐसी शारीरिक शक्ति हजारों लाखों लोगों के काम में आती हो या आई हो ऐसा कब किसने सुना है या देखा है और ऐसी शारीरिक शक्ति बढ़ाई हुई व्यक्ति को समाज देश या जनता का नेतृत्व करते कभी देखा है ? जी नहीं, यदि नेता बनकर समाज जनता या देश का नेतृत्व करना हो तो निर्णय लेने की क्षमता बहुत बड़ी होनी अनिवार्य नेता मात्र राजा के रूप में भी नहीं होना चाहिए , अपने सिर पर अहंकार अभिमान को हावी होने नहीं देना चाहिए , अय्याशी की वृत्ति से नेता बनने वाला, धन की ताकत से नेता बनने वाला या फिर गलत रास्ते अपनाकर कैसे भी नेता बन जाने वाले बाद में सिर्फ अपने पटारे भरने का ही रास्ता अपनाए तो वह जनता की नजरों से गिर जाता है , स्वार्थान्धता की वृत्ति वाले देश का भला नहीं कर पाते है ।

वह मात्र अपना खुद का ही भला कर लेते है, ऐसे लोग नेतृत्व की क्षमता वाले नहीं कहलाते हैं , सर्वप्रथम तो व्यक्ति में अपने स्वयं के कुछ गुण जैसे प्रमाणिकता निडरता निष्ठा सत्यवादीता समर्पण परोपकार परायणता आदि कई गुण होने ही चाहिए , नेता बन जाने के बाद गुण नहीं आते हैं , यह गुण तो अपने जीवन में साधे हुए होने चाहिए , गुण बाजार में नहीं मिलते हैं की पैसों से खरीदे जा सके , गुण की भी उपासना करनी पड़ती है, मात्र कॉलेजों की डिग्रियों से भी ये गुण नहीं आ जाते हैं ।

महराज ने बताया कि स्वार्थान्धता में अंध व्यक्ति, अश्लीलता में डूबा हुआ, मात्र धन बल पर अपने आप को कैसे भी नेता बनाने वाले नेता को आप देखिए वह देश का भला कभी कर ही नहीं पाता है , भारत के इतिहास में ऐसे सैकड़ों नेताओं को निष्फल गए हुए आप देखेंगे , लिस्ट बहुत बड़ा है निष्ठा और देश के प्रति समर्पण हो स्वार्थान्धता नाम मात्र भी ना हो और परोपकार परायणता हो प्रमाणिकता हो, प्रतिपल देशहित जनहित की चिंता करने वाला नेता कैसे भी कठिन परिस्थिति में यथाशीघ्र बड़ा फैसला ले सकता है , बड़ा फैसला लेने का मतलब यह नहीं है कि आप जुगाड़ खेलो या अंधेरे में तीर फेंको अरे ! लग गया तो ठीक ऐसा नहीं होता है दीर्घ दर्शिता भी चाहिए ।

परिणाम क्या, व कैसा आएगा ? इसका ख्याल आता हो वही दीर्घदर्शी विवेकपूर्ण सही समय पर सटीक फैसला ले सकता है , हार्वर्ड की बड़ी डिग्री वाले भी कई बार जनता की दृष्टि में पप्पू कहलाने योग्य हो जाते हैं , लोक डाउन का निर्णय सही और सटीक पुरवार हो रहा है ।