सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में 40 जवान शहीद
जिस बस को निशाना बनाया, उसमें 39 जवान सवार थे
एक अधिकारी ने बताया कि काफिला सुबह 3:30 बजे जम्मू से रवाना हुआ था और इसे शाम होने से पहले श्रीनगर पहुंचना था , घाटी लौटने वाले जवानों की संख्या ज्यादा थी, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से मौसम खराब होने की वजह से हाईवे पर ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं थी और इसके कुछ प्रशासनिक कारण भी थे ।
आमतौर पर ऐसे काफिलों में एक बार में एक हजार जवान होते हैं , लेकिन, इस बार इनकी संख्या 2547 थी , काफिले में रोड ओपनिंग पार्टी और बख्तरबंद आतंकरोधी गाड़ियां भी शािमल थीं , जिस बस को हमले के लिए निशाना बनाया गया, वह 76वीं बटालियन की थी और इसमें 39 जवान सवार थे ,फॉरेंसिक और बम विशेषज्ञ टीमें मौके पर पहुंच गई हैं।
शहादत बेकार नहीं जाएगी– मोदी
पहले कब हुए इस तरह से आतंकी हमले
1 अक्टूबर 2001 को जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने हमला किया था , एक फिदायीन आतंकी विस्फोटकों से लदी टाटा सूमो में सवार था , उसने गाड़ी को विधानसभा के मेन गेट से टकरा दिया था , हमले में 38 मौतें हुई थीं , वहीं, 15 जनवरी 2004 को आतंकियों ने श्रीनगर के पास अर्द्धसैनिक बल के एक काफिले पर विस्फोटकों से भरी कार से हमला कर दिया था , हालांकि, इस हमले में कोई भी हताहत नहीं हुआ था ।
जैश ने की पुष्टि, वकास कमांडो ने किया हमला
जैश-ए-मोहम्मद के प्रवक्ता मुहम्मद हसन ने एक लोकल मीडिया से कहा कि हमारा संगठन सीआरपीएफ के काफिल पर हुए हमले की जिम्मेदारी लेता है , इस फिदायीन हमले को आदिल अहमद उर्फ वकास कमांडो ने अंजाम दिया , वह पुलवामा के गुंडी बाग से ऑपरेट करता था ।
वकास का घर जलाने के बाद जैश ने जून में किया था ग्रेनेड अटैक