राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था काव्‍यसृजन के तत्वावधान में कवियों की सजी महफ़िल

दिल्ली  |  राष्ट्रीय साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था काव्यसृजन के संस्थापक पं शिवप्रकाश जौनपुरी जी के मार्गदर्शन में काव्यसृजन दिल्ली इकाई की काव्यगोष्ठी, इकाई के अध्यक्ष पंकज तिवारी जी के निवास स्थान असोला फतेहपुर नई दिल्ली में माननीय तारकेश्वर राय (उप संपादक, सिरिजन साहित्यिक पत्रिका) के अध्यक्षता में व पंकज तिवारी जी के संचालन में संपन्न हुई ।
गोष्ठी की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई तत्पश्चात पहले कवि के रूप में भजनपुरा दिल्ली से पधारे युवा कवि सूरज प्रताप वर्मा ने अपनी कविता ‘प्रेम है नीर, प्रेम है पीर, प्रेम है अमृतपान’ के माध्यम से लोगों का मन मोह लिया। गुड़गांव से पधारी अगली कवियित्री नीलम ने माँ और भाई पर प्रस्तुत अपने गीत से श्रोताओं को भावुक कर गईं , युवा कवि संजीव कुमार घोष ‘नीर’ ने ‘तितली हमसे पूछ रही है बाग बगीचे कहाँ गये’ गीत के माध्यम से पेड़ों की हो रही कटाई को दर्शाया है ।
इस डिजिटलाइज युग में प्यार भी कैसे डिजिटल हो गया है और अपना रंग बदल लिया है कुछ इसी भाव की कविता कवियित्री डेजी शर्मा ने सुनाया , कवियित्री ममता मिश्रा ने बादलों के उस पार शीर्षक से कविता सुनाकर श्रोताओं को वाकई एक स्वप्निल सफर पर ले गई ।
जिंदगी धूप कड़ी, छाँव का सफर है चलो ।
बंदगी भाव का है, रुप हमसफर है चलो ।।
कविता के माध्यम से पंकज तिवारी ने जिंदगी के लगभग हर पहलू को छूने का प्रयास किया , अन्य कवियों ने भी अपनी बहुरसीय कविताओं से पूरे माहौल को काव्यमय बना दिया ।
 अध्यक्षीय वक्तव्य में श्री तारकेश्वर राय ने सभी कवियों के कविताओं की समालोचना करने के साथ ही युवाओं की नई फौज, उनके शब्दों का संयोजन, भावों की अतल गहराई और सबसे बड़ी बात इस दौर, जहाँ युवा पीढ़ी साहित्य और किताबों से दूर होती जा रही है ऐसे में इन सभी युवा कवियों को, इनके हौंसले को लेकर भूरि-भूरि प्रशंसा भी की अंत में संस्था के महासचिव संजीव कुमार घोष ‘नीर’ जी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए गोष्ठी में पधारे सभी कवियों का आभार व्यक्त किया ।