नव साहित्य कुंभ द्वारा कवि सम्मेलन व मुशायरा हुआ संपन्न

मुंबई |      साहित्यिक संस्था नव साहित्य कुंभ के तत्वावधान में इंटरनेट के आधुनिक युग में 5 व 6 सितम्बर 2020 को दो दिन अनवरत कवि सम्मेलन व मुशायरा हुआ संस्था के संस्थापक रामस्वरूप प्रीतम भिनगई (श्रावस्ती) , अध्यक्ष अनिल कुमार राही (मुंबई) , संयोजक संजय द्विवेदी (कल्याण-महाराष्ट्र) , सचिव धीरेन्द्र वर्मा धीर (लखीमपुर खीरी) , संरक्षक दिवाकर चंद्र त्रिपाठी (छत्तीसगढ़) एवं मीडिया प्रभारी विनय शर्मा दीप (ठाणे – महाराष्ट्र) के आयोजन , संयोजन व मार्गदर्शन में संपन्न हुआ 5 सितम्बर 2020 की गोष्ठी का संचालन संस्था संयोजक संजय द्विवेदी ने बखूबी किया जिसमें शिल्पि विकास त्रिवेदी माधुर्येय (लखनऊ) , शान जिया (बरेली) , अश्वनी उम्मीद लखनवी (लखनऊ) व शर्मिला किरण (इंदौर) मुख्य रूप से साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से सभी को मंत्रमुग्ध किया 6 सितम्बर 2020 का संचालन संस्था के संरक्षक दिवाकर चंद्र त्रिपाठी ने किया जिसमें कवयित्री शिल्पा सोनटक्के (गुजरात) , गीतकार नंदलाल क्षितिज (अम्बेडकर नगर) , शायर जनाब अजहर अली इमरोज़ (दरभंगा-बिहार) , साहित्य के मर्मज्ञ , लोक गायक , अभिनेता लोकनाथ तिवारी अनगढ़ (भभुआ – बिहार) आदि उपस्थित होकर काव्यगोष्ठी में चार चाँद लगा दिया  |

वरिष्ठ गीतकार नंदलाल क्षितिज की कुछ रचनाएँ :-

1 – दूर तक पहाड़ है नारियल का झाड़ हैं,
     घर भी हैं कहीं कहीं, बाग बन विहार हैं।
     गोवा की गली गली प्रेम का निवेश है।
     आर्यावर्त का क्षितिज यह सुखी प्रदेश है।

2 – तुम चाहो तो बिन बादल के बरसाओ पानी,
     तुम चाहो तो अपने मन की कर को मनमानी।

3 – गांव कौन सा कैसा गांव,नहीं रहा अब वैसा गांव,
      मुरझाए चेहरे हैं सबके मांग रहा है पैसा गांव।

काव्य गोष्ठी के उपरांत संस्थापक व संस्था अध्यक्ष ने उपस्थित सभी साहित्यकारों को सम्मान पत्र दिया और आभार व्यक्त करते हुए गोष्ठी का समापन किया   |