निःशुल्क भुखंड देने से मनपा को हुआ चार करोड़ का नुकसान

ठाणे |     एक तरफ कोरोना का कहर है वही दूसरी तरफ मनपा को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है और मनपा के आय के स्त्रोत भी काम हो गए है ऐसी परिस्थिति में मनपा अपनी मनमानी कर स्वयं आय के मार्ग को बंद कर रही है जिसके कारण मनपा ने मेट्रो परियोजना के ठेकेदार को बिना किराए के भुखंड को मुहैया कराने का प्रस्ताव तैयार किया जबकि मनपा अपने भुखंड को संबंधित ठेकेदार कंपनी को किराए पर देती तो उसे मासिक चार करोड़ रुपए का मुनाफा हो सकता था लेकिन इस मामले पर आपत्ति जताते हुए भाजपा की नगरसेविका अर्चना मणेरा ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है नगरसेविका मणेरा का कहना है कि वड़ाला – कासारवडवली मेट्रो – 4 परियोजना के लिए निर्माण कार्य के दौरान सरकारी और अर्धसरकारी संस्थाओं के खाली भुखंडों को एम.एम.आर.डी.ए. को हस्तांतरित करने का आदेश है जिसमे मेट्रो परियोजना के ठेकेदार को निजी और अस्थाई उपयोग के लिए इन भुखंडों को देने का उल्लेख आदेश में नहीं है इसके बावजूद एम.एम.आर.डी.ए. ने छह सितंबर 2018 को कास्टिंग यार्ड , लेबर कैंप और आर.एम.सी. प्लाट के लिए बोरिवडे स्थित सर्वे क्रमांक 21 में आरक्षण क्रमांक तीन के लिए सात हेक्टर खेल का मैदान मांगा था , उस समय तत्कालीन मनपा आयुक्त ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए सेक्टर पांच में पार्क आरक्षण क्रमांक आठ स्थित कुल 75  हजार 390 वर्ग मीटर क्षेत्र के आरक्षित भुखंज को 10 अक्टूबर 2018 को दे दिया था इसके लिए महासभा की मान्यता भी नहीं ली गई और दो नवंबर 2018 को उक्त भुखंड को अस्थाई तौर पर ठेका कंपनी के कब्जे में दे दिया गया , नगरसेविका अर्चना मणेरा ने यह भी कहा कि रेडीरेकनर के दर को पकड़ें तो 50 रुपए प्रति वर्ग फीट किराया पकड़ा जाना चाहिए , इसके हिसाब से प्रति महीने चार करोड़ रुपए मनपा का मिल सकता है लेकिन मनपा ने इसे दरकिनार किया और उसे 96 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है और एम.एम.आर.डी.ए. को भुखंड देते समय इसे लेकर बिना किसी मुल्य और किराए पर देने के लिए महासभा के साथ सरकार की मंजूरी लेना आवश्यक होता है लेकिन इस मामले में ठाणे मनपा के अधिकारियों ने मिली भगत कर ठेकेदार को भुखंड बिना किराए के ही दे दिया        |