भारतीय की मानसिकता गुलामी की है या आजादी की ? डॉ.अरूण विजय

ठाणे | जैन मुनि डॉ.उत्तर प्रदेश जिसको योगी उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में सतत प्रयत्नशील है योगी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं तथा प्रधानमंत्री वाराणसी (बनारस ) से सांसद है यह उनका संसदीय क्षेत्र है , शायद दोनों के अथक प्रयत्न से उत्तर प्रदेश उत्तम बन भी सकता है लेकिन उत्तर प्रदेश की बोर्ड परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ , जिसमें 8 लाख विद्यार्थी हिंदी भाषा में फेल हुए इससे क्या समझना चाहिए, 72 वर्षों की आजादी के पश्चात भी भारत की यह स्थिति है जो भारत आगामी 3 वर्षों के पश्चात भारत की हीरक जयंती आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने की खुशी में मनाने वाला है, सोचिए ! हम क्या मनाएंगे भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के ख्वाब देखे जा रहे हैं जबकि हिंदी भाषा की इतनी दयनीय दशा है कहीं राष्ट्रप्रेम राष्ट्रहित राष्ट्रवाद खोखला साबित ना हो जाए , चाहे अच्छा पढ़ा लिखा हो या न भी हो , फेल भी हो फिर भी सरकारी नौकरी की इच्छा हर किसी की प्राथमिकता होती है , लेकिन सरकारी स्कूलों में खूद को पढ़ने की तथा अपने बेटों को पढ़ाने की इच्छा बिल्कुल नहीं होती है ।

इसी तरह बीमारी के समय सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए कोई भी तैयार नहीं होता है , पेंट सूट टाई पहनने के लिए सब तैयार होते हैं, या तैयार रहते हैं, लेकिन अपने देश के जैसी वेशभूषा धारण करने को अच्छा नहीं समझते हैं आखिर ऐसा क्यों ? करीब 200 वर्षों तक अंग्रेजों की गुलामी में रहने के कारण जो गुलामी की मानसिकता बन चुकी है, उसी के संस्कार कितने गाढ बन चुके हैं कि आजादी के 72 वर्षों के बावजूद भी आज दिन तक अंग्रेजों की पैंट सूट टाई की वेशभूषा पसंद है , लोग छोड़ना नहीं चाहते हैं , टाई को अपने मान सम्मान अहंकार का चिन्ह मान लिया है , टाई भारतीय पोशाक का अंग नहीं है फिर भी पुरुषों ने स्वैच्छिक रूप से स्वीकार कर रखा है , शैक्षणिक क्षेत्र में 72 वर्षों से अंग्रेजी कालीन शिक्षा नीति आज भी ऐसी ही चल रही है और सबसे ज्यादा अच्छा मानते हो तो अंग्रेजों की अंग्रेजी भाषा ही छोडना नहीं चाहते हैं ।

छोड़ने की बात तो दूर रही ऊपर से भारत में सैकड़ों लोग आज भी अंग्रेजी सिखाते हैं , मां घरों में बच्चों के साथ अंग्रेजी बोलती है अंग्रेजी में ही सब कुछ भाषाकीय व्यवहार चलता है , अमेरिका के बाद में अंग्रेजी बोलने वाले देशों में भारत का दूसरा नंबर है अपने देश की राष्ट्रीय भाषा से इतना लगाव न हो ऐसा भारत दुनिया का एकमात्र देश है इस हद तक अंग्रेजी का मोह क्यों ? क्या अंग्रेजी की गुलामी की पहचान नहीं है ।