समस्याओं के दलदल में फंसा दिवा
ठाणे | दिवा प्रभाग समिति ठाणे मनपा के अंतर्गत सबसे अधिक उपेक्षित प्रभाग समिति रहा है राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण दिवा उपनगर की यह स्थिति बनी है यहां की आबादी छह लाख से अधिक की है आबादी को विषम परिस्थिति में अपना जीवन गुजारना पड़ रहा है इन बातों का जिक्र करते हुए भाजपा उत्तर भारतीय मोर्चा के ठाणे शहर जिला उपाध्यक्ष शमशेर यादव का कहना है कि दिवा में रहने वाले लोगों का जीवन बद से बदतर है यहां ना तो अच्छी सड़कें ना तो पीने के लिए पानी और ना ही गटर और नाले की सुविधाएं हैं ऐसी स्थिति में लोगों को नारकीय जीवन बिताने को विवश होना पड़ रहा है इधर लगातार हुई बारिश के दौरान दिवा में जो जल प्रलय आया उसने नागरिकों को गटर बेहाल सा कर दिया , गटर और नाले नहीं होने के कारण बारिश का पानी सीधे घरों से लेकर सड़कों पर बढहते नजर आए , इतना ही नहीं सैकड़ों परिवार को इस स्थिति में परेशानी का सामना करना पड़ा , दूसरी ओर दीवा की सड़कें पूरी तरह खराब स्थिति में है सालाना प्रभाग समिति के विकास के नाम पर अरबों रुपए के विकास कार्य को कागजी तौर पर अंजाम दिया जा रहा है लेकिन विकास काम दिखाई नहीं पड़ रहा है और आज उसी का परिणाम है कि बारिश का पानी जो गटर और नालों से होकर बहाना चाहिए था वह लोगों के घरों से होकर बह रहा है यहां विकास की एक अलग ही परिभाषा और यथार्थता देखी जा रही है |
उपरोक्त बातों का जिक्र करते हुए शमशेर यादव ने आरोप लगाया कि साढे तीन हजार करोड़ की बचट वाली ठाणे मनपा के अंतर्गत आने वाला दिवा प्रभाग समिति आज किस हाल में है उसका सहज अंदाज लगाया जा सकता है बारिश में भी यहां लोगों को नियमित तौर पर पेयजल या पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है तथा टैंकर वालों को जहां आसानी से पानी मिल जाता है तो वहीं आम नागरिकों के नलों में पानी 3 दिन से 4 दिन पर आ रहा है इन बातों का जिक्र करते हुए यादव का कहना है कि वाटर डिस्ट्रीब्यूशन सुविधा बनाने के नाम पर विकास योजनाओं को शुरू तो किया गया है लेकिन उसका कुछ भी परिणाम सामने नहीं आया है और झोपड़पट्टी भागों में तो हालत और भी बुरी है लोगों को बारिश में भी पानी के लाले हो रहे हैं और तो और दिवा में गटर और नाली के साथ ही फुटपाथ नहीं होने के कारण आम लोगों को विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ता है बारिश के दौरान दिवा में बारिश का पानी सड़कों से होकर गुजरता है क्योंकि दिवा में व्यवस्थित गटर और नाले नहीं बने हैं जो गटर या नाले बने हैं उसका काम अभी भी दशको से अधूरा पड़ा है और आज उसी का परिणाम है कि दिवा नेशनल स्कूल के समीप जो गटर है उसका निर्माण कार्य दशकों बाद भी पूरा नहीं हो पाया है इस कारण पानी की निकासी बारिश के दौरान नहीं हो पा रही है इसी वजह से टाटा पावर रोड जिसे दिवा मुंब्रा रोड भी कहते हैं इस परिसर के लोगों को हर साल बारिश में जलजमाव की समस्याओं से प्रताड़ित होना पड़ रहा है लेकिन अब तक इस समस्या के स्थाई समाधान हेतु प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह की पहल नहीं की गई है इन बातों का जिक्र करते हुए उपाध्यक्ष शमशेर यादव का कहना है की आंखिर इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है ? प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाए या राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की कमी को , आम नागरिक इसको लेकर असमंजस की स्थिति में है दिवा प्रभाग समिति में भले ही विकास कार्य कागजों पर घोड़े की तरह दौड़ रहा है लेकिन धरातल पर विकास कार्यों की जगह आम नागरिकों को परेशानियों के सैलाब से सामना करना पड़ रहा है इन बातों का जिक्र करते हुए यादव का कहना है कि आंखिर दिवा की इस दुर्गति के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए , ऐसा सवाल उन्होंने दिवा के साथ ही ठाणे शहर के प्रबुद्ध नागरिकों से भी किया है |