सरकार कर रही पिछड़ी जातियों के साथ अन्याय : पूर्व मंत्री रामआसरे विश्वकर्मा

उत्तर प्रदेश |   पूर्व मंत्री एवं पिछडा वर्ग आयोग उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा ने वर्ष 2021 में भारत की जनगणना में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की गणना न करने पर भाजपा केन्द्रीय सरकार से नाराजगी जताई है और माननीय प्रधानमंत्री जी से इसे तत्काल संज्ञान लेकर पिछडे वर्गों की जातिवार जनगणना कराने हेतु निर्णय लेकर जनगणना कराने हेतु आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है विश्वकर्मा ने कहा कि देश में जनगणना आजादी के बाद से सन् 1951 की जनगणना की तैयारी के लिए सरदार बल्लभभाई पटेल तत्कालीन गृह मंत्री ने भी जाति की गणना के लिए स्वीकृति दे दी थी परंतु उनके देहांत के बाद कांग्रेस सरकार ने 1951 में जनगणना में जाति का कालम ही हटा दिया उसके बाद 1961 से 1971 में जाति जनगणना हुई 1981 में दोबारा जाति का कालम जोड़ा गया लेकिन 1991 में फिर हटा दिया गया 2001 और 2011 की जनगणना में भी जातिवार जनगणना नहीं की गई मंडल कमीशन ने 1931 की जनगणना के हिसाब से पिछड़ों की आबादी 54 प्रतिशत मानी थी तथा उसके आधार पर 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था  |

7 जनवरी 2020 को भारत सरकार की तरफ से जनगणना 2021 की अधिसूचना जारी की गई है इसमें पिछड़ी जातियों की जनगणना का कोई कॉलम नहीं बनाया गया इसमें सिर्फ अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति का कॉलम है पिछड़ी जाति का जनगणना में कालम न शामिल किए जाने का अर्थ भारत में लगभग 300 पिछड़ी जातियां जो अलग – अलग प्रांतों में विभिन्न नामो से रहती हैं जिनकी आबादी लगभग 60 प्रतिशत है तथा इसमें मुस्लिम पिछड़ी जातियां भी सम्मिलित हैं इतनी बड़ी आबादी के आंकड़े को छुपाकर सरकार पिछडे वर्गों के साथ अन्याय कर रही है सिर्फ अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति का कालम अलग करने का मतलब है कोई परिवार यदि उपरोक्त कॉलम में नहीं आता है तो उसे सामान्य जाति में गणना में लिया जायगा , इस प्रावधान से पिछड़ी जातियों की सामाजिक , शैक्षिक एवं आर्थिक स्थिति का आकलन नहीं हो पायेगा , सरकार सामान्य जातियों की सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक ब्यौरा पिछड़ी जातियों के साथ मिलाकर अगर पेश करेगी तो पिछड़ी जातियों के स्तर के बारे में सामान्य जातियों के सामाजिक शैक्षिक और आर्थिक संसाधनों के साथ जोडकर आर्थिक बोझ बांट दिया जायगा और पिछडे वर्गो की वास्तविक स्थिति छिपा ली जायगी सरकार को संदेह है कि पिछडे वर्गो के जनगणना का ब्यौरा सार्वजनिक आने के बाद भाजपा सरकार को पिछड़ों को दिए जाने वाले संवैधानिक लाभ और अन्य सुविधाएं आबादी के हिसाब से देनी होगी , भविष्य में यह मांग उठेगी कि पिछडे वर्गो के सामाजिक शैक्षिक आर्थिक आयोग बनाकर उन्हें अधिकार और हिस्सेदारी पूरी दी जाय , समाजवादी पार्टी हमेशा से पिछड़ो के अधिकार और सम्मान की लडाई लडती आ रही है माननीय नेता मुलायम सिंह यादव और माननीय अखिलेश यादव ने पिछडे वर्गो की जातिवार जनगणना कराने की हमेशा सरकार से मांग की है ताकि उन्हें उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण अधिकार सम्मान और हिस्सेदारी दी जा सके लेकिन भाजपा सरकार पिछडे वर्गो को आबादी के अनुपात में अधिकार और सम्मान देने से कतरा रही है समाजवादी पार्टी को पिछडो के इस लडाई को मजबूती से लडना होगा तब जाकर सफलता मिल सकती है  |