हृदयागंन साहित्यिक संस्था द्वारा हुआ ऑनलाइन कविगोष्ठी 

मुंबई |      अखिल भारतीय संस्था हृदयांगन साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था का तीसरा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन रविवार दिनांक 13 दिसम्बर 20 को संस्था के सचिव आशीष त्रिवेदी के निवास स्थान निहारिका ठाणे से ऑनलाइन संपन्न हुआ , सायं 6 बजे से कविता फुहार रात्रि 9: 15 तक चली , कवि – कवियत्रियो की यह खुशमिजाज महफिल और संचालन इतना जबरदस्त कि केवल एक ही राउन्ड कवितापाठ हो सका , जो इस बात का प्रतीक है कि इन कवियों मे इतना दम खम है कि हृदयांगन के ये अनमोल सितारे अपनी वाणी से कविता सुन्दरी को पूरी रात सजा सकते हैं मंच को जीवन्त रख सकते है सदाशिव चतुर्वेदी मधुर ने सरस्वती वन्दना से कवि सम्मेलन का श्रीगणेश किया , डॉ. अरूण प्रकाश मिश्र अनुरागी ने श्रृंगार सजाया , उनकी जरा मुखड़ा दिखा दे मनुहार रंग लाई , नवीं मुंबई से पधारी सौ0 तनूजा चौहान का अंदाज इतना निराला कि निष्काम प्रेम भी मानो सकाम बन मन मस्तिष्क को रोमांचित कर गया , तन मन भिगो गया     |

हाजिर जवाबी में सरस्वती उनका साथ देती रही , उनकी बात करें तो देहरादून की डॉ. अलका अरोड़ा पहली बार हृदयांगन कवि मंच पर आई और जबरदस्त छाई , उन्होने आकर श्रृंगार तथा जीवन मूल्यो को लक्ष्य करती हुई बेहतरीन कवितायें सुनाई , उनकी विशेषता कि उन्होने हर कविता की तुरन्त कविता में ही समीक्षा की , संचालक का कुछ बोझ कम किया और तो और हृदयांगन के मंगल भविष्य के लिये तो उन्होने झोली ही खोल दी , शारदा प्रसाद दुबे पूर्व अंग्रेजी शिक्षक जो जौनपुर के पलटूपुर में ससुराल का आनंद ले रहे है उनकी काश्मीर पर कविता सुन सबको लगा कि काश्मीर की वादियों मे श्रोता खो गये है पर काश्मीर की मौजूदा स्थिति से उन्होने सबको झकझोरा भी , सदाशिव चतुर्वेदी मधुर ने अच्छी कवितायें सुनाई , अध्यक्ष को कहना पड़ा कि मधुर तुम्हारे मृदुलगात पर वात्सल्य है टपक रहा , धन्य धन्य वह माँ औ तुम भी , चेहरा दुलार से दमक रहा      |

अब बारी थी गजल सजल की , संस्था के मार्गदर्शक नागेन्द्र नाथ गुप्ता ने बहुत बेहतरीन गजलें सुनाई , उन्होने गजल के माध्यम से कहा प्यार उम्र का मोहताज नही होता संचालक , नामांकन हम लोग भी डालते है वह बात दीगर है कि चुनाव अनुरागी मधुर जीत जाते है उन्नाव के ओज के जाने माने कवि राजेश वर्मा तकनीकी कारणो से दिखते तो रहे , नका डील डौल ही ऐसा है पर हम आवाज से ही उनका छन्द सुन पाये , इन्ही तकनीकी कारणों से हम रामजीत गुप्ता को नेहा मिश्रा प्रज्ञा राय को भी नही सुन पाये , अपनी दुकान समेट कर समय निकालकर बिजनौर से जुड़े हमारे रमेशचन्द्र महेश्वरी राजहंस सपत्नीक , उमेश ने उनकी हिम्मत की दाद दी कि पत्नी के साथ फिर भी इतनी बुलन्द आवाज , उनकी शुभ आगमन की भाव भरी कविता और भरी बाजार में स्वेटर यानि कार्डिगन की बुनाई देखने के बहाने मुख – दर्शन की अदा सबको रास आई     |

हास्य? का अनूठा प्रयोग देखने को मिला राजहंस में , अनुरागी की प्रस्तुति एक मुखड़ा दर्शन एकौ ब्रह्म द्वितीयो नास्ति पर केंद्रित तो राजहंस का अनेको मुख – दर्शन स्वेटर के बहाने कोटि कोटि देवताओं का सौंदर्य देखने की लालसा संजोये थी , अध्यक्ष विधु को आखिर कहना ही पड़ा बहुत अच्छे राजहंस , आशीष त्रिवेदी संस्था के सचिव (वित्त एवं प्रबंध) जोकि टाटा प्रोजेक्ट के वाइस प्रेसीडेंट है उन्होने मोबाइल पर बहुत सुन्दर कविता कही और माँ जो आज के कार्यक्रम की सम्मानमूर्ति रही उनपर अति सुन्दर कविता कहकर सबकी आंखे नम कर दी , संस्था के वरिष्ठ मार्गदर्शक श्रीहरि वाणी जो वरिष्ठ साहित्यकार है उन्होने दो शब्दों में संस्था के उद्देश्यों को और हमारे सद्प्रयासो की बात की , बालकवि – तबलावादक 6 वर्षीय लविन ने चार लाइनें कहकर सबका मन जीत लिया , अब बारी थी संचालक महोदय की , श्रीकृष्ण की विराट छवि सबसे बड़े रसिया और गोपी विरह तथा माँ की ममता कम समय में उत्कृष्ट कवित्त भाव प्रदर्शन , यही तो प्रभाकर उमेश की विशेषता     |

अध्यक्ष ने हृदयांगन का सारा भार नवपीढी के कंधों पर सौंप कर सन्यास वैराग्य लेने की बात की तो देहरादून से आई अलका नाराज हो गयी अनुरागी रो पड़े , इसी निश्छल प्रेम को विधुजी कविता कहते है श्रोताओं की लम्बी संख्या online जुड़ रही जिसमें संस्था की संरक्षिका एवं उत्तराखंड की प्रभारी विद्युत प्रभा ने पूरे कवि सम्मेलन को सुना और आयोजन की भूरि भूरि प्रशंसा की , बता दे कि यह विशेष राष्ट्रीय कवि सम्मेलन कानपुर से पधारी स्नेहलता त्रिवेदी की अध्यक्ष की मातृसदृश्य भाभी तथा आशीष की मातुश्री के कानपुर से मुंबई आने के सम्मान में आयोजित किया गया था , सभी ने उनके सम्मान में सुन्दर भाव व्यक्त किये , उनका आशीर्वाद लिया , कार्यक्रम के दौरान ही सत्यनारायण की पूजा कथा चल रही थी , उसका आशीर्वाद मिला सभी कवि वृन्दो को उत्तराखंड हरिद्वार पौढीगढवाल के दीप विनोद आचार्यश्री के श्रीमुख से , मंच संचालक उमेश चन्द्र मिश्र प्रभाकर ने आभार प्रकट कर कार्यक्रम को विराम दिया , अध्यक्ष महोदय ने नववर्ष पर संस्था की और से सभी आमंत्रितो को प्रतीक चिन्ह देने की घोषणा की जिसका सबने करतल ध्वनि से अनुमोदन किया , गोष्ठी में सवैया छंद नही सुन पाये क्योंकि संस्था के राष्ट्रीय मीडिया सचिव विनय शर्मा दीप महाराष्ट्र से बाहर थे , उनको सुनते तो लग रहा था की पायल पहने कान्हा की बंशी में नाच रही हैं छमाछम     |