ईश्वर को धन्यवाद के भाव से स्मरण करना, उसकी स्तुति करना, उसकी उपासना करना मानव मात्र का कर्तव्य धर्म है- पं.प्रभारंजन पाठक

डोम्बीवली ।  रविवार दिनांक 22 सितंबर 2019 को पाटीदार भवन डोंबिवली में आर्य समाज डोंबिवली के 15 वें वार्षिकोत्सव पर बोलते हुए पं प्रभारंजन पाठक ने कहा– कि ईश्वर को धन्यवाद के भाव से स्मरण करना, उसकी स्तुति करना, उसकी उपासना करना मानव मात्र का कर्तव्य धर्म है –“य आत्मदा बलदा यस्य विश्व उपासते” जो ईश्वर का उपासक है ईश्वर उसे इतनी आत्मिक शक्ति देता है कि वह पहाड़ के समान दुख को भी राई समझ कर झेल जाता है अन्यथा साधारण इंसान तो राई के समान दुख को भी पहाड़ बना देता है।

जो डर कर नारे-दोजख से खुदा का नाम लेते हैं ।
इबादत क्या वो खाली बुजदिलाना एक खिदमत है।।
मगर जब शुक्रे- नेमत से जबीं झुकती है बंदे की।
वो सच्ची बंदगी है इक शरीफाना इताअत हैं।।
इस अवसर पर आर्य समाज के भजन गायक श्री वीरेंद्र मिश्रा जी के सुमधुर गीत से वातावरण भक्तिमय हो गया आर्य प्रतिनिधि सभा मुंबई के महामंत्री आदरणीय श्री अरुण अबरोल जी ने आर्य समाज के विचार को जन जन तक पहुंचाने की प्रेरणा दी आर्य समाज वाशी से पधारे आदरणीय श्री जिले सिंह जी ने कहां- आज समाज में फैले हुए अंधविश्वास और कुरीतियों को दूर करने के लिए स्वामी दयानंद जी के विचार का प्रचार बहुत जरूरी है और इसके लिए आर्य समाज संकल्पित है कार्यक्रम का आरंभ अग्निहोत्र से हुआ इसके ब्रह्मा आचार्य सोमवीर जी शास्त्री रहे ।आर्य समाज डोंबिवली के प्रधान श्री प्रवीण भाई महामंत्री श्री मनसुखभाई सबका धन्यवाद किया ।