केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में मनाई गई स्वामी विवेकानंद जयंती 

मुंबई |       केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के. जे. सोमैया परिसर, विद्याविहार, मुंबई में स्वामी विवेकानंद की जयंती का आयोजन किया गया , इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिसर के निदेशक प्रो. भारत भूषण मिश्र ने कहा कि नरेन्द्रनाथ दत्त को विवेकानंद बनाने का कार्य संत रामकृष्ण परमहंस ने किया था जो स्वामी विवेकानंद के गुरु थे , स्वामी विवेकानंद में अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति थी , जिसकी आज जरूरत है आज की पीढी यदि स्वामी विवेकानंद के पद चिन्हों पर चले तो नये भारत का निर्माण किया जा सकता है जयंती के अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में शिक्षाशास्त्र विभाग को अध्यक्षा प्रो. लीना सक्करवाल ने कहा कि भारत में विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दी जाए , जिसमें उत्तम चरित्र का निर्माण हो , मुख्यवक्ता के रूप में राजनीतिशास्त्र के सहायक आचार्य डॉ. रंजय कुमार सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमेरिका) के धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म की महत्ता का परिचय उस समय दिया , जिस समय भारत ब्रिटिश शासन का गुलाम था , स्वामी विवेकानंद के हिंदू धर्म के सनातन संस्कृति के अनुसार भाईयों एवं बहनों के संबोधन से पूरा धर्म संसद भारत के आध्यात्मिक ज्ञान और भारतीय दर्शन से परिचित हुआ , रंजय ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा कि वह दिन दूर नहीं , जब पूरा विश्व भारतीय दर्शन के सामने नतमस्तक होगा , स्वामी विवेकानंद की धर्म संसद में कही गई यह बात सत्य साबित हुई , जब कोरोना वायरस जैसे भयंकर महामारी से पूरा विश्व भयभीत हो गया , उस समय इस भयंकर महामारी से बचने के लिए पूरे विश्व के लोगों ने मात्र और मात्र भारतीय हिंदू धर्म दर्शन का पालन किया , विशिष्ट वक्ता के रूप में व्याकरण शास्त्र के सहायकाचार्य डॉ. नवीन कुमार मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद द्वारा अध्यात्मिक ज्ञान का जो सिद्धांत दिया गया है उस सिद्धांतों पर चलकर ही भारत पुन: विश्व गुरु बन सकता है इस कार्यक्रम में स्वागत भाषण साहित्य विभाग के सहायकाचार्य डॉ. स्वर्ग कुमार मिश्र , श्लोकवद्ध धन्यवाद ज्ञापन साहित्य विभाग के सहायकाचार्य डॉ. धीरज कुमार मिश्र ने जबकि मंच संचालन ज्योतिष विभाग के सहायकाचार्य डॉ. अनिरूद्ध नारायण शुक्ल ने किया , इस अवसर पर कार्यालय के सभी कर्मचारी उपस्थित थे         |