कोरोना को ईश्वर-अल्लाह प्रदत्त मानना मूर्खता है -डॉ.अरूण विजय

ठाणे ।  जैन मुनि डॉ. अरुण विजय ने कहा कि दुनिया के सभी देशों में भारत ही एकमात्र धर्म और मोक्ष पुरुषार्थ प्रधान देश है , जबकि अन्य देश अर्थ और काम पुरुषार्थ प्रधान देश है इन देशों को अर्थ व्यापार कामादि पहले दिखाई देते हैं , इसीको प्राधान्यता दी जाती है , शायद इसी मान्यता के कारण अमेरिका जैसे देश लॉक डाउन को प्राथमिकता न देने की मान्यता या मानसिकता रखते हैं , परिणाम यह आया कि अमेरिका में आज प्रति घंटे 100 लोगों की मौत हो रही है , दुनिया के कुछ धर्म को मानने वाले अंधश्रद्धालु लोगों की मानसिकता ऐसी है कि ईश्वर या अल्लाह जो चाहते हैं वही होता है , ईश्वर अल्लाह ही सृष्टि का निर्माण करते हैं और संचालन की की भी व्यवस्था वे ही करते हैं ।

लोग ऐसा भी मानते हैं और कहते हैं कि यह सब ईश्वर की माया है, उसी की इच्छा है उसी की इच्छा का ही परिणाम है वह वही करता है जो उसकी इच्छा में आता है , अंध श्रद्धालु ऐसा भी कहते हैं कि जनसंख्या बहुत बढ़ गई है इसलिए ईश्वर इस समय बैलेंस कर रहा है , ईश्वर भी इस समय अपने साम्राज्य में साफ सफाई कर रहे है , एक तरफ अज्ञानता और दूसरी तरफ अंधश्रद्धा यह दोनों मिल जाने पर रिएक्शन कुछ इस प्रकार का ही आता है , पेड़ का पत्ता भी ईश्र्वर-अल्लाह की मर्जी के बिना नहीं हील सकता है , ऐसी अज्ञान जन्य मान्यताओं को लेकर ही धर्मांध लोग अपनी बातें समाज में मूढ लोगों में फैलाते हैं ।

लोगों की भी कमजोरी है कि धर्म के मूलभूत सिद्धांतों का तत्वों का सही अभ्यास न करना और अपनी अज्ञानता को भी अंधश्रद्धा से छिपाना या दबाकर ढक कर रखना और ईश्वर-अल्लाह के नाम पर अंधश्रद्धा से ही ऐसी बातें करना ताकि अज्ञानी होते हुए भी वह सर्व सामान्य लोगों में भी ज्यादा ज्ञानी ज्यादा समझदार पढ़ा-लिखा धार्मिक दिखाई दे , यह कैसी विडंबना है ?

सही ज्ञान नही होंने के कारण धर्मांध लोग कितना अनर्थ करते हैं , यही धर्म का नुकसान ज्यादा करते हैं , तथाकथित धर्म गुरुओं ने अपने अनुयायियों को कोरोना विषय में जो और जैसी सलाह समझ दी , वही विपरीत निकली और परिणाम स्वरुप में कोरोनावायरस में एक खास जाती या समुदाय विशेष के लोगों में फैला दिया , परिणाम यह आया कि दुनिया के सामने यह लोग मूर्ख सिद्ध हुए , खुद ने ही अपने आप को मूर्ख सिद्ध किया , ईश्वर- अल्लाह की देन नहीं है कोरोना ।